जेल से रिहा किए गए डॉ कफील, जताया अदालत का आभार

लखनऊ,इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के करीब 12 घंटे बाद डॉक्टर कफील खान को रिहा कर दिया गया। रिहाई के तुरंत बाद ही डॉक्टर कफील ने अदालत का शुक्रिया अदा किया। इसके साथ ही उन्होंने अपने उन तमाम शुभचिंतकों का भी आभार जताया जिन्होंने उनकी रिहाई के लिए आवाज उठाई। डॉक्टर कफील खान का नाम पहली बार सुर्खियों में अगस्त 2017 में आया था, जब गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी से 63 बच्चों की मौत हो गई थी।
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सिजन की कमी की वजह से 63 बच्चों की मौत हो गई थी। इस दौरान डॉक्टर कफील ने बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाकर कई बच्चों की जान बचाई थी। जिसकी वजह से अखबारों और सोशल मीडिया ने उन्हें हीरो की तरह जनता के समक्ष पेश किया था। प्रशासन ने 22 अगस्त को ड्यूटी में लापरवाही बरतने और भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाकर डॉ कफील को निलंबित कर जेल भेज दिया था। नौ महीने जेल में बिताने के बाद डॉ कफील खान को जमानत मिल गई थी। हालांकि, डॉक्टर कफील ने इस घटना को षड्यंत्र करार दिया था।
इसके बाद दिसंबर 2019 में डॉ कफील खान फिर सुर्खी में आए जब उन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित किया। उस वक्त डॉक्टर कफील पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा। इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद वह फरार हो गए थे। 29 जनवरी को यूपी एटीएस ने उन्हें मुंबई से गिरफ्तार किया।
10 फरवरी को अलीगढ़ की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने डॉक्टर कफील को जमानत दे दी और वह रिहा होने वाले थे। लेकिन इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने उन पर रासुका लगा दिया। जिसके बाद डॉक्टर कफील ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस दौरान कोर्ट ने आदेश दिया कि हाई कोर्ट में पेंडिंग याचिका पर 15 दिनों के अंदर सुनवाई पूरी की जाए।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को रासुका के तहत कैद डॉक्टर कफील की हिरासत रद्द करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल की पीठ ने कफील की मां नुजहत परवीन की याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि फरवरी की शुरुआत में एक सक्षम अदालत द्वारा डॉक्टर कफील को जमानत दे दी गई थी और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना था, लेकिन उन्हें चार दिनों तक रिहा नहीं किया गया और बाद में उन पर रासुका लगा दिया गया।

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