मप्र विधानसभा में इस बार अधिकारियों के तबादलों पर छिड़ेगी जंग

भोपाल, मध्य प्रदेश विधानसभा के 21 सितंबर से शुरू होने जा रहे सत्र में अधिकारियों के तबादलों पर सियासी संग्राम मचना तय है। एक तरफ जहां भाजपा ने कांग्रेस सरकार के दौरान हुए तबादलों को लेकर सवाल खड़ा किया है तो वहीं, इसके काउंटर में कांग्रेस ने भी ध्यानाकर्षण के जरिए भाजपा सरकार के दौरान हुए तबादलों पर जानकारी मांगी है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि सत्र के दौरान तबादलों पर सियासी संग्राम मचना लगभग तय है। दरअसल, कांग्रेस सरकार के दौरान हुए तबादलों को लेकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा ने जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में अब पूर्व मंत्री और कांग्रेस के सीनियर विधायक पीसी शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने के दिन से लेकर अब तक हुए अधिकारियों के तबादलों की जानकारी ध्यानाकर्षण के जरिए मांगी है।
दरअसल, भाजपा नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा ने कांग्रेस सरकार के दौरान 15 दिसम्बर 2018 से लेकर जून 2019 तक हुए तबादलों की जानकारी तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान मांगी थी। इसमें तबादलों पर हुए खर्च और उनके लिए आई सिफारिशों के बारे में भी जानकारी मांगी गई थी। लेकिन तब सरकार की ओर से जानकारी अधिक विस्तृत होने का हवाला देते हुए जवाब देने से इनकार कर दिया था। लेकिन अब सत्ता में भाजपा आ चुकी है और 21 सितम्बर से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है तो सीताशरण शर्मा के सवाल को ग्राह्य करते हुए सवाल का जवाब तैयार किया जा रहा है। वहीं, इसका काउंटर करने के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा की ओर से ध्यानाकर्षण लगाकर भाजपा की सरकार में अब तक हुए तबादलों की जानकारी मांगी गई है।
तबादला, सत्र और सियासत
मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 21 सितंबर से शुरू हो रहा है और यह 23 सितंबर तक चलेगा। सत्र में तबादलों को लेकर सवाल जवाब से सियासी पारा चढ़ाना तय है। भाजपा यह आरोप लगाती रही है कि जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो 15 महीनों के अंदर अधिकारियों के थोक बंद तबादले किए गए। अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग पर शासन का करोड़ों रुपए भी बर्बाद हुआ। वहीं, कांग्रेस की माने तो भाजपा के आरोप निराधार हैं और खुद भाजपा की सत्ता आते ही ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल जारी हो गया है। ऐसे में अब देखना यह है कि क्या इन सवालों के बीच विधानसभा में बाकि मुद्दे हंगामे की भेंट तो नहीं चढ़ जाएंगे।

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