मप्र में बारिश से थमी पर नर्मदा एवं चंबल नदी खतरे के ‎निशान से ऊपर बह रही

भोपाल, प्रदेश में बारिश तो थम गई है ले‎किन अभी भी कई नदियां उफान पर है। प्रदेश की नर्मदा व चंबल नदी सहित अन्य नदियां अभी भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। बड़वानी में बांधों से लगातार छोड़े जा रहे पानी के चलते जिला मुख्यालय के समीप राजघाट में नर्मदा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। सोमवार शाम छह बजे राजघाट में जलस्तर खतरे के निशान से करीब 11 मीटर अधिक अर्थात 134.350 मीटर पहुंच गया। इससे बड़वानी-राजघाट मार्ग की दूसरी पुलिया भी जलमग्न हो गई। बता दें कि सरदार सरोवर को पूर्ण निर्धारित क्षमता तक भरे जाने पर राजघाट में जलस्तर 138.680 मीटर तक पहुंचेगा। गत वर्ष पहली बार सरदार सरोवर को पूर्ण निर्धारित क्षमता तक भरा गया था। मंदसौर में सोमवार दोपहर 12:30 बजे गांधीसागर बांध का जलस्तर 1306.33 फीट था। बांध में पानी की आवक 98 हजार 831 क्यूसेक थी और 2 लाख 69 हजार 989 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। सोमवार शाम तक गांधीसागर बांध के तीन ही गेट खुले हुए थे, इसके पूर्व 16 गेट खोले गए थे। श्योपुर में पार्वती नदी खतरे के निशान से 11 फीट ऊपर, चंबल भी चढ़ी मालवा की बारिश से श्योपुर जिले की चंबल और पार्वती नदियों में बाढ़ आ गई है। पार्वती नदी खतरे के निशान से 10 फीट ऊपर चला गया है। चंबल नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है। सोमवार को कलेक्टर, एसपी व एसडीएम नदियों किनारे बसे गांव, पुल व मुख्य रास्तों का दौरा करने पहुंचे। जिले में पिछले साल की तुलना में 65 फीसद ही बारिश हुई है। लोकार्पण के पहले सिवनी जिले के भीमगढ़ से सुनवारा के बीच वैनगंगा नदी पर तीन करोड़ की लागत से बना पुल ढहने के बाद अब इसकी जांच शुरू हो गई है। इसके अलावा वैनगंगा नदी में आई बाढ़ में भीमगढ़ बस्ती के पास छपारा से भीमगढ़ को जोड़ने वाला पुल भी बहा है, जिसकी लागत करीब चार करोड़ है। वैनगंगा की बाढ़ से बालाघाट के सर्रा में पुल का एप्रोच भी बाढ़ में बह गया। यह पुल करीब 810.39 लाख रुपये की लागत से बना था। पिछले माह तैयार हुआ था पुल भीमगढ़ से सुनवारा के बीच वैनगंगा नदी पर बना पुल पिछले माह ही बनकर तैयार हुआ था। 150 मीटर लंबे पुल निर्माण का ठेका भोपाल की एचवी कंस्ट्रक्शन कंपनी को मिला था। श्योपुर जिले की चंबल और पार्वती नदियों में बाढ़ आ गई है। पार्वती नदी खतरे के निशान से 10 फीट ऊपर चला गया है। चंबल नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है। सोमवार को कलेक्टर, एसपी व एसडीएम नदियों किनारे बसे गांव, पुल व मुख्य रास्तों का दौरा करने पहुंचे। जिले में पिछले साल की तुलना में 65 फीसद ही बारिश हुई है। अल्पवर्षा के कारण अधिकांश तालाब, डैम व बांध खाली पड़े हैं, लेकिन मालवा क्षेत्र में हो रही लगातार बारिश के कारण यहां हालात खराब हो रहे हैं। सोमवार की शाम तक पार्वती का जलस्तर खतरे के निशान 197 मीटर से तीन मीटर ऊपर 200 मीटर तक जा पहुंचा है। पार्वती नदी का पानी चंबल नदी में मिल रहा है और राजस्थान के कोटा बैराज से 1.50 लाख क्यूसेक तक पानी छोड़ा गया। इससे चंबल नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। सोमवार की शाम तक चंबल का जलस्तर 195 मीटर पर जा पहुंचा। चंबल का खतरे का निशान 199 मीटर पर है। कोटा को जोड़ने वाले खातौली पुल पर 22 फीट व कुहांजापुर पुल पर छह फीट से ज्यादा पानी था। अनुमान है कि चंबल नदी भी खतरे के निशान को पार कर जाएगी क्योंकि पार्वती नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और कोटा-बैराज से चंबल नदी में पानी छोड़ने का क्रम अभी जारी रहेगा। पार्वती नदी के उफान में नदी के बीचोंबीच बसे सूंडी गांव में 75 परिवार नदी की बाढ़ से घिरे हुए हैं। चंबल नदी की बाढ़ में सांड़ गांव भी पानी से घिर गया है। रविवार की दोपहर से सांड गांव टापू बना गया। इस गांव में 250 से ज्यादा आबादी है। श्योपुर का राजस्थान के खातौली, कोटा, बारां, मांगरौल, झालावाड़ आदि शहरों से संपर्क कटा हुआ है। इसी तरह चंबल नदी किनारे खेतों पर घर बनाकर रह रहे लोगों से घर खाली कराए जा रहे हैं। प्रशासन ने 35 गांवों में बाढ़ का अलर्ट जारी कर दिया है। एसडीआरएफ की टीम पहुंची नदियों का जलस्तर चिंताजनक स्तर तक बढ़ने पर एसडीआरएफ की 17 सदस्यीय टीम ने श्योपुर में आमद दे दी।

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