मप्र में कांग्रेस ने दिया टारगेट 20 से अधिक सीटें जिताओ मंत्री की कुर्सी पाओ

भोपाल, मप्र की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस हर मोर्चे पर काम कर रही है। इसी कड़ी में आलाकमान ने पदाधिकारियों को टारगेट दिया है कि उपचुनाव में 20 से अधिक विधानसभा सीटों को जिताओ और सरकार बनने पर मंत्री की कुर्सी पाओ। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आलाकमान भी मप्र की सत्ता में वापसी के लिए रणनीति बना रहा है।
मप्र विधानसभा की 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस को दोबारा सत्ता पर काबिज होने के लिए कम से कम 20 सीटें जीतना होंगी। अगर कांग्रेस इतनी ही सीटें जीतती है तो चारों निर्दलीय बसपा के 2 और सपा का 1 विधायक किंगमेकर की भूमिका में होंगे। विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। 27 सीटों को हटा दिया जाए तो 203 सीटें बचती हैं। भाजपा को 107 विधायकों का समर्थन है, जो बहुमत से 5 ज्यादा है। चुनाव में भाजपा को कम से कम 9 और कांग्रेस को 20 सीटें जीतना होंगी। ऐसी स्थिति में कमलनाथ निर्दलीय और सपा-बसपा विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाने में कामयाब हो सकते हैं।
उपचुनाव की तारीखों के ऐलान का इंतजार
मप्र में इस समय विधानसभा की खाली 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों के ऐलान का सभी राजनीतिक पार्टियों इंतजार कर रही हैं। संभव है कि चुनाव आयोग इसका ऐलान जल्द कर सकता है। यकीनन भाजपा और कांग्रेस के लिए ये उपचुनाव बेहद अहम हैं और इसी वजह से दोनों को ही पूरी ताकत झोंक देनी होगी। यहां असली चुनौती सरकार बचाना या फिर उसका तख्तापलट है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने अपनी गद्दी बचाए रखने के लिए कम से कम नौ सीटों पर जीत हासिल करने की चुनौती होगी और अगर आंकड़ा कम रहा तो मुश्किल आ सकती है। वहीं, कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए ये उपचुनाव कहीं बड़ी चुनौती पेश करने वाले हैं, क्योंकि उन्हें शिवराज सरकार को बेदखल करने के लिए सभी 27 सीटों पर विजय हासिल करनी होगी, जो कि मुश्किल लग रहा है।
…तो सात विधायकों का बढ़ जाएगा महत्व
बहरहाल, अगर उपचुनाव में भाजपा नौ से कम सीटें जीत पाती है, तो उसे समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवारों का रुख करना होगा। वहीं, 89 विधायकों के साथ उपचुनाव में उतने वाली कांग्रेस को सभी सीटों पर जीत हासिल करनी होगी, तभी वह दोबारा सीएम की कुर्सी हासिल कर सकेगी। फिलहाल, भाजपा नौ से कम सीट पर सिमटती है और कांग्रेस 20 से अधिक सीटें जीत लेती है तो ऐसी स्थिति में कमलनाथ चार निर्दलीय विधायकों के अलावा बसपा के दो और सपा के एक विधायक की मदद से सूबे के फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

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