जबलपुर,ट्रेनों की संख्या बेहद सीमित है,बसों के पहिये जाम हैं। ऐसे में यात्री परेशान हैं और बस ऑपरेटर अपनी मांगों के पूरे होने तक बसें न चलाने के लिए अड़ चुके हैं। चार माह से अधिक समय से सार्वजनिक परिवहन बंद होने से इस समस्या का समाधान निकालने में सरकार असफल रही है। बसें पूरी क्षमता के साथ चलाने के आदेश होने के बावजूद आपरेटर बसें नहीं चला रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना काल का टैक्स माफ करो और किराया बढ़ाने दो तभी बसें चलाएंगे। आईएसबीटी में करीब साढ़े 6 सौ बसें नियमित रूप से राज्य के अंदर व बाहर चलती रही हैं। करीब 25 से 30 हजार यात्री प्रतिदिन अपने गंतव्य के लिए यहां से यात्रा करते थे। सबसे ज्यादा परेशान आसपास के जिलों तक आने-जाने में हो रही है जहां के लिए कोई साधन मुहैया नहीं है। ऐसे में जब प्रदेश शासन ने बसों को नियमित रूप से चलाए जाने के आदेश दिए तो उम्मीद जागी थी कि अब परेशानी दूर होगी,मगर सरकार का यह आदेश भी उस वक्त बेअसर साबित हो गया जबकि बस आपरेटर अपनी मांगों को लेकर अड़ गए हैं।
सरकार झेल रही आर्थिक संकट
सरकार आर्थिक संकट झेल रही है। ऐसे में 70 करोड़ रुपए का भारीभरकम टैक्स को माफ करने में वह पीछे हट र ही है। वहीं किराया बढ़ाकर यात्रियों का विरोध लेने के मूड में भी सरकार नहीं है। एक औसत के अनुसार हर बस पर करीब 70 हजार रुपए का टैक्स बकाया है। बस आपरेटरों का कहना है कि जब 4 माह से बसें चल ही नहीं रही हैं तो कहां से पैसा दें। इस बारे में अब परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की मध्यस्थता से बातचीत चल रही है,लेकिन फिलहाल इस माह के अंत तक इसका कोई हल निकलता नहीं नजर आ रहा है।
न ट्रेन, न बस कैसे आएं- जाएं
यात्रियों के लिए न तो उनके आवाजाही के लिए ट्रेनें ही चल रही हैं और न ही बसें। ऐसे में उनके पास कोई विकल्प ही नहीं है। प्राईवेट टैक्सी लेकर सामान्य व्यक्ति के लिए इसका खर्च उठाना संभव नहीं होता,अत्यावश्यक कार्य होने पर लोग यह बोझ भी उठाने पर मजबूर हैं।
बसों के पहिये अब भी जाम..1 वाहन पर करीब 70 हजार निकल रहा टैक्स
