नई दिल्ली, भारत में प्राकृतिक गैस के दामों में बड़ी गिरावट आने की संभावना है। इससे ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) जैसी गैस उत्पादक कंपनियों की कमाई पर बुरा असर पड़ सकता है। अनुमान के मुताबिक भारत में अक्टूबर से प्राकृतिक गैस की कीमत घटकर 1.90-1.94 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू पर आ सकती है। यह देश में एक दशक से अधिक समय में प्राकृतिक गैस की कीमतों का सबसे निचला स्तर होगा। गौरतलब है कि इस समय देश की गैस उत्पादक कंपनियां पहले से ही भारी नुकसान में हैं। हालांकि उम्मीद की जा सकती है कि नेचुरल गैस के दामों में कमी से सीएनजी, एलपीजी और पीएनजी की कीमतें घटेंगी। सूत्रों के मुताबिक, 1 अक्टूबर 2020 से प्राकृतिक गैस की कीमतों में संशोधन होना है। गैस निर्यातक देशों की बेंचमार्क दरों में बदलाव के हिसाब से गैस का दाम घटकर 1.90 से 1.94 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट रह जाएगा। अगर ऐसा होता है तो एक साल में यह प्राकृतिक गैस की कीमतों में लगातार तीसरी कटौती होगी। इससे पहले अप्रैल में नेचुरल गैस की कीमतों में 26 फीसदी की बड़ी कटौती की गई थी। इससे नेचुरल गैस के दाम घटकर 2.39 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू रह गए थे।
ओएनजीसी को प्रतिदिन 6.5 करोड़ घनमीटर गैस के उत्पादन पर नुकसान हो रहा है। केंद्र सरकार ने नवंबर, 2014 में नया गैस मूल्य फॉर्मूला पेश किया था। यह अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस अधिशेष वाले देशों के मूल्य केंद्रों पर आधारित है। इस समय गैस का दाम 2.39 डॉलर प्रति इकाई है, जो पिछले एक दशक से अधिक समय में सबसे कम है। ओएनजीसी ने हाल में सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि नई खोजों से गैस उत्पादन में 5-9 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू का दाम होने पर ही वह लाभ की स्थिति में रह सकती है। सरकार ने मई 2010 में बिजली और उर्वरक कंपनियों को बेची जाने वाली गैस का दाम 1.79 डॉलर प्रति इकाई से बढ़ाकर 4.20 डॉलर प्रति इकाई किया था। ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को गैस उत्पादन के लिए 3.818 डॉलर प्रति इकाई का दाम मिलता था। इसमें 10 फीसदी रॉयल्टी जोड़ने के बाद उपभोक्ताओं के लिए इसकी लागत 4.20 डॉलर बैठती थी। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने एक नए मूल्य फॉर्मूला को मंजूरी दी थी, जिसका क्रियान्वयन 2014 से होना था। इससे गैस के दाम बढ़ जाते, लिहाजा, भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने इसे रद्द कर नया फॉर्मूला पेश किया। इसके जरिये पहले संशोधन के समय गैस के दाम 5.05 डॉलर प्रति इकाई रहे। इसके बाद छमाही संशोधन में गैस के दाम नीचे आते रहे।