हर्षदीप कौर का मानना है कि सूफी संगीत में है एक अजीब सा जादू

मुंबई, कई भारतीय भाषाओं के गानों को अपने मधुर सुरों से सजा चुकी गायिका हर्षदीप कौर का कहना है कि सूफी संगीत में एक अजीब सा जादू है। कौर ने अब तक हिंदी, पंजाबी, तेलुगू, तमिल, बंगाली और गुजराती जैसे कई भारतीय भाषाओं में गीत गाए हैं। कौर ने आगे कहा कि सूफी संगीत में एक दूर की दुनिया की बात की जाती है और इसके बोल दिलों को छू लेती है और सबसे जरूरी बात यह है कि इसमें दर्द से उबरने की ताकत है। दो रिएलिटी शोज में खुद को साबित करने के बाद कौर ने महज 16 साल की उम्र में ‘सजना मैं हारी’ गीत के साथ अपना डेब्यू किया। उस दौर को याद करती हुई वह कहती हैं, “स्कूल में उस वक्त रहते हुए अपने किसी फिल्मी गीत के रिलीज होने का अनुभव ही रोमांचक था। मैं बहुत खुश थी।”रिएलिटी शो में जीत हासिल करने के बाद बहुत कम ही कलाकार ऐसे होते हैं जो इंडस्ट्री में खुद को अच्छी तरह से स्थापित कर पाने में कामयाब होते हैं। वह कहती हैं, सफलता को बनाए रखना, बेहतर संगीत पर अपने काम को जारी रखना और अच्छे गाने गाना बहुत जरूरी है। रिएलिटी शो में जीतने का मतलब यह नहीं है कि आपकी मेहनत और आपका संघर्ष खत्म हो गया है। अपने रास्ते आने वाले हर मौके का फायदा उठाना ही मायने रखता है। ज्यादातर विजेता इंडस्ट्री में सफल नहीं हो पाते हैं इस बात को कौर भी स्वीकार करती हैं। उनका भी यही मानना है कि ऐसे शोज से तुरंत लोकप्रियता तो मिल जाती है, लेकिन असली सफर की शुरूआत इसके बाद ही होती है। कौर फिलहाल फिल्मी गीतों के अलावा अपने स्वतंत्र गीत और नए गीतों को बनाने में व्यस्त हैं।

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