नागपुर, केरल के कोझिकोड एयरपोर्ट पर हुए विमान हादसे में दोनों पायलटों समेत 18 लोगों की मौत हो गई, हालाकि विमान में 190 यात्री सवार थे। इसके लिए हर तरफ अनुभवी पायलट कैप्टन दीपक वसंत साठे की तारीफ हो रही है कि उन्होंने अपना बलिदान देकर भी विमान में आग हीं लगने दी, वरना मृतकों का आंकड़ा ज्यादा हो सकता था। मार्च से लगातार वंदे भारत मिशन के तहत विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस भारत लाने वाले अनुभवी पायलट कैप्टन दीपक वसंत साठे इस उड़ान को पूरा करने के बाद शनिवार को अपने घर पहुंच कर अपनी मां को सरप्राइज देने वाले थे क्योंकि शनिवार को उनकी मां का 84 वां जन्म दिन था। लेकिन डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की जान बचाने वाले कैप्टन दीपक की विमान हादसे में शुक्रवार को मौत हो गई। कैप्टन दीपक साठे के भांजे डॉक्टर यशोधन साठे के मुताबिक कैप्टन दीपक ने अपने कुछ रिश्तेदारों से कहा था कि अगर उड़ान उपलब्ध होगी तो वो मां के जन्मदिन पर नागपुर पहुंचकर उन्हें सरप्राइज देंगे। उन्होंने कहा, कैप्टन साठे ने आखिरी बार मार्च में अपने माता-पिता से मुलाकात की थी, लेकिन फोन के जरिये वो बराबर उनके संपर्क में रहते थे। उन्होंने दो दिन पहले ही फोन पर बात की थी।
कैप्टन साठे अपनी पत्नी के साथ मुंबई रहते थे। उनकी मां नीला साठे अपने पति और सेना से रिटायर्ड कर्नल वसंत साठे के साथ नागपुर स्थित भारत कॉलोनी में रहती हैं। कोरोना वायरस की महामारी के चलते कैप्टन साठे ने मां से कहा था कि वो घर से बाहर नहीं निकलें। नीला साठे ने कहा ने कहा, वो कहता था कि कोरोना वायरस के चलते मैं घर से बाहर नहीं निकलूं। वह कहता था कि अगर मुझे कुछ हुआ तो उन्हें सबसे ज्यादा दुख होगा और अचानक ये हादसा हो गया… भगवान की इच्छा के आगे हम क्या कर सकते हैं। नीला साठे ने कहा, उन्हें टेबल टेनिस और स्क्वॉश में महारत हासिल थी और वो अच्छा घुड़सवार था। मेरे बेटे को स्वार्ड ऑफ ऑर्नर मिला, लेकिन वो अपनी उपलब्धियों की चर्चा नहीं करता था। वो लोगों की मदद करता था और दूसरों की मदद के लिए कुछ भी कर सकता था। गुजरात में आई बाढ़ के दौरान उन्होंने कंधे पर उठाकर सैनिकों के बच्चों को बचाया था।