उप्र के 12 जिलों में बढ़ा बाढ़ का खतरा, 24 घंटे में 11 और गांव बन गए टापू

लखनऊ, नेपाल और उत्तराखंड में घाघरा के कैचमेंट एरिया में जमकर पानी बरसने से यूपी के तराई और पूर्वाचल के जिलों में पिछले 24 घंटे में 11 और गांव बाढ़ के पानी के सैलाब में टापू बन गए है। अब तक कुल 78 गांव जलभराव से पूरी तरह कट गए हैं। उत्तरप्रदेश के बाराबंकी, अयोध्या, कुशीनगर, गोरखपुर, बहराइच, लखीमपुरखीरी, आजमगढ, गोंडा, संत कबीर नगर, सीतापुर, सिद्धार्थनगर और बलरामपुर जिले इस समय बाढ़ की मार झेल रहे हैं। इन जिलों में शारदा, राप्ती, घाघरा और सरजू नदियां विभिन्न बांधों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। सिंचाई विभाग में इंजीनियर इन चीफ अरविंद सिंह ने बताया कि एल्गिन ब्रिज पर घाघरा का जलस्तर खतरे के निशान से 1 मीटर ऊपर है। नेपाल और उत्तराखंड में घाघरा के कैचमेंट एरिया में जमकर पानी बरसा है। इसका बहाव अब पूर्वांचल और तराई के जिलों की ओर हो रहा है। हालांकि राप्ती के जलस्तर में थोड़ी कमी आई है।
राहत आयुक्त संजय गोयल ने बताया कि जलस्तर में कमी आने के साथ ही बलरामपुर और बस्ती जिलों के जिलाधिकारियों ने नदी के तटबंध में कहीं कहीं कटान का अंदेशा जताया है। इस अंदेशे को देखते हुए तैयारियां कर ली गई हैं। प्रभावित जिलों में 95 बाढ़ शरणालय बनाए गए हैं। 650 से ज्यादा नावें उन गांवों में लगाई गई हैं, जिनका संपर्क कट गया है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की 16 टीमें भी लगाई गई है। लगभग 5000 खाने-पीने का पैकेट लोगों में वितरित किए गए हैं। इस किट में में 10 किलो चावल, 10 किलो आटा, 10 किलो आलू, 5 लीटर केरोसिन, 2 किलो दाल, माचिस, बिस्कुट और दूसरी जरूरी सामान हैं।

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