जबलपुर,जबलपुर हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक पत्र मामले का निपटरा करते हुए गर्भवती महिलाओं के पक्ष में अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने अंतिम आदेश में कहा है कि भारतीय रेलवे बर्थ के आरक्षण की प्रक्रिया में वरीयता के क्रम पर विचार करे।पत्र याचिका का निराकरण करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि रेलवे सीट रिजर्वेशन में सबसे पहले गर्भवती महिलाओं, फिर सीनियर सिटीजन और उसके बाद फिर वीवीआईपी को प्राथमिकता दे। लोअर बर्थ के आरक्षण के मुद्दे पर हाईकोर्ट के जस्टिस संजय यादव और जस्टिस अतुल श्रीधरण की डबल बेंच ने कहा, गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता देने के लिए सिर्फ इसकारण कहा जा रहा है क्योंकि स्वास्थ्य कारणों के कारण उनके लिए मिडिल बर्थ या अपर बर्थ उचित नहीं होगी।इसके बाद गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों की बजाए उन्हें आरक्षण में वरीयता दे। इस आग्रह के साथ डिवीजन बेंच ने पत्र याचिका का निराकरण करते हुए रेलवे से वरीयता क्रम में बदलाव के लिए कहा है।
जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव ने ग्वालियर से जबलपुर के बीच अपने ऑफिशियल विजिट के दौरान अपने अनुभवों को लेकर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र भेजकर कई खामियां गिनाई थीं। मकसद था कि रेलवे आरक्षण में व्यवस्था और सुधार करने के लिए कुछ नए और ठोस कदम उठाए जा सकें। इसमें जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव के अनुभव पर अधिवक्ता आदित्य संघी ने अपनी सहमति जताकर एक अर्जी दायर की थी। याचिका की सुनवाई के दौरान रेलवे की ओर से जवाब दिया गया था कि लोअर बर्थ के आवंटन में सबसे पहले प्राथमिकता वीवीआईपी को दी जाती है। इसमें मंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज भी शामिल रहते हैं। वीवीआईपी के बाद गर्भवती महिलाओं और फिर सीनियर सिटीजन को प्राथमिकता दी जाती है। रेलवे का कहना था कि हर व्यक्ति को लोअर बर्थ चाहिए होती है। लेकिन सबसे पहले कोशिश यही की जाती है कि सीनियर सिटीजन को पहले प्राथमिक्ता दी जाए।