छिंदवाड़ा, तामिया में भारिया जनजाति के संरक्षण और पर्यटन विकास के लिए भारिया संस्कृति केंद्र बनेगा। केंद्र के भवन निर्माण के लिए कलेक्टर सौरभ सुमन ने एसडीएम जुन्नारदेव को पातालकोट के समीप जमीन का चयन कर आवंटन के आदेश दिए है। यह भवन एपको मॉडल पर बनाया जाएगा इसका पूरा खर्च प्रदेश का पर्यावरण नियोजन संगठन उठाएगा। पिछले दिनों एपको की कार्यपालन यंत्री तन्वी सुंद्रीयाल ने पातालकोट का दौरा भी किया था और जिला प्रशासन को भवन तैयार करने के आदेश भी दिए थे। प्रशासन ने इसका नक्शा तैयार कर लिया है और जमीन आवंटन के बाद इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी। संभवत: यह भवन रातेड़ में बनाया जाएगा। भवन में भारिया जनजाति की संस्कृति, कला, खानपान, रहन-सहन, उनकी जीवन पद्धति का छोटा म्यूजियम भी होगा। यहां आने वाले पर्यटक संस्कृति केंद्र के माध्यम से भारिया जनजाति की संस्कृति को जान पाएंगे।
इन कलाओं का होगा संरक्षण
तामिया के रातेड़ में बनने वाले संस्कृति भवन में भारिया जनजाति की संस्कृति की वस्तुओं को संयोजित किया जाएगा। इनमें उनका खानपान, रहन-सहन परंपरा का प्रदर्शन तो होगा साथ ही भारिया लोक-नृत्य के साजो सामान में ढोल, मादल, बांसुरी, वाद्य यंत्र सहित उनकी हस्त कलाओं में गुदना, कलाकृतियां, पातालकोट में पाए जाने वाले कंदमूल और खेती का पैटर्न भी प्रदर्शित होगा।
गुरुकुल की तरह विकसित करने की है योजना
भारिया जनजाति का यह संस्कृति केंद्र गुरुकुल की तरह विकसित करने की योजना है इसमें भारिया जनजाति के बच्चों को पढ़ाई-लिखाई और रोजगार से जोडऩे का भी प्रयास होगा। साथ ही इस केंद्र को पर्यटन नक्शे में शामिल कर पर्यटकों को इसका विजिट भी कराया जाएगा। जिसके लिए स्थानीय स्तर पर ही गाइड तैयार किए जाएंगे।
पातालकोट के भीतर है 12 गांव
भारिया जनजाति तामिया के पातालकोट में बसती है। पातालकोट में 12 गांव है और लगभग 1100 परिवार इन गांव में निवास करते है। भारिया जनजाति मूलरूप से जल, जंगल और जमीन पर आधारित जीवन जीते है। पिछले दो दशकों में यहां काफी विकास हुआ है पातालकोट के गांवों तक बिजली, स्कूल, छात्रावास, राशन दुकान पहुंच गई है। इस जनजाति को विकास के मुख्य धारा से जोडऩे यहां भारिया जनजाति विकास प्राधिकरण भी कार्य कर रहा है।