भोपाल के 10 अस्पतालों में शुरू किया गया रैपिड एंटीजन टेस्ट, आधे घंटे में मिल जाएगी रिपोर्ट

भोपाल, भोपाल में गुरूवार से शहर में कोरोना की जांच के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट शुरू हो गया है। कम्युनिटी में संक्रमण के स्तर को जांचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने ये टेस्ट शुरू किया है। इसके लिए शहर के 10 फीवर क्लीनिक्स को चुना गया है। इन अस्पतालों को किट मुहैया करा दी गई है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक शहर के संक्रमित क्षेत्रों, कंटेनमेंट और हॉटस्पॉट इलाकों से आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक सेंपल टेस्ट किए जाएंगे।
अस्पतालों में आने वाले मरीज़, विशेष तौर पर 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गो को इस टेस्ट में प्राथमिकता दी जाएगी।खासतौर पर कीमोथैरेपी, ट्रांसप्लांट और ऐसे मरीजों की जांच पर खास ध्यान होगा जिनकी सर्जरी होना बाकी है। रैपिड किट से एंटीजन टेस्ट करने से 30 मिनट में रिजल्ट पता चल सकेगा।पॉजिटिव रिपोर्ट सही मानी जाएगी लेकिन, निगेटिव रिजल्ट आने वाले मरीजों की निगरानी की जाएगी। यदि बाद में मरीज में लक्षण नजर आए तो आरटीपीसीआर से जांच कराई जाएगी।
इन अस्पतालों में होगा टेस्ट
जिन अस्पतालों को एंटीजन टेस्ट के लिए चिन्हित किया गया है उनमें
-गैस राहत अस्पताल
-जवाहर लाल नेहरू अस्पताल
– कमला नेहरू अस्पताल
-खान शाकिर अली अस्पताल
– मास्टर लाल सिंह अस्पताल
– रसूल अहमद सिद्दीकी पल्मोनरी मेडिसिन सेंटर
-सिविल हॉस्पिटल बैरागढ़
-सीएचसी बैरसिया
-सीएचसी कोलार
-सिविल डिस्पेंसरी गोविन्दपुरा
-यूपीएचसी गुलाबी नगर
दो कैटेगरी में टेस्ट
कोरोना के मरीज बढऩे के कारण सरकार एंटीजन टेस्ट कराने जा रही है। इसमें दो श्रेणियां निर्धारित की गयी हैं। पहली कैटेगरी में कंटेनमेंट जोन, रेड जोन जैसे संक्रमित क्षेत्रों के लोगों के टेस्ट किए जाएंगे। दूसरी कैटेगरी में अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की रैपिड किट से जांच की जाएगी। इसमें उन मरीजों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनकी सर्जरी होनी है।इसके अलावा, ईएनटी, डेंटल और नेत्र रोगियों का चयन किया जाएगा।इससे ये पता चल सकेगा कि किस स्तर पर संक्रमण समुदाय में फैला है। सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी का कहना है, अभी एक हजार किट से टेस्ट किए जाएंगे। इसके लिए दस अस्पतालों को चिन्हित किया है। हमने दस हजार एंटीजन टेस्ट किट और मंगवायी हैं। उनसे और भी लोगों की जांच की जाएगी।विभाग का प्रयास है कि कोरोना की शुरुआती स्टेज में ही पहचान कर ली जाए ताकि इलाज आसान हो।

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