जया जेटली को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत, रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार के मामले में सजा को सस्पेंड किया

नई दिल्ली, रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार के मामले में समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली को ट्रायल कोर्ट से हुई 4 साल की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट ने सस्पेंड कर दिया है। 2000-2001 के मामले में दिल्ली की अदालत ने गुरुवार को ही जेटली और 2 अन्य लोगों को 4 साल कैद की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ वह दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची थी,इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा को सस्पेंड कर दिया। निचली अदालत ने तीनों दोषियों को गुरुवार को ही सरेंडर करने को कहा था लेकिन जया जेटली को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इसके पहले गुरुवार को विशेष सीबीआई न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने जया जेटली के पूर्व पार्टी सहयोगी गोपाल पचेरवाल, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एसपी. मुरगई को भी चार-चार साल कैद की सजा सुनाई थी। तीनों दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया और उन्हें गुरुवार शाम पांच बजे तक सरेंडर करने का निर्देश दिया गया था। निचली अदालत ने तीनों को हाथ से चलाने वाले थर्मल इमेजर्स’ की खरीद के मामले में भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश रचने का दोषी पाया है।
2001 में एक स्टिंग ऑपरेशन में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था। सेना को थर्मल इमेजर की आपूर्ति करने के लिए संदिग्ध कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में आए पत्रकार से अभियुक्तों ने रिश्वत स्वीकार की थी। 25 दिसंबर 2000 को होटल के कमरे में हुई बैठक में सुरेंद्र कुमार सुरेखा और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एस.पी. मुरगई ने काल्पनिक कंपनी वेस्टेंड इंटरनेशनल के प्रतिनिधि मैथ्यू सैम्युअल को रक्षा मंत्रालय से उसकी कंपनी द्वारा निर्मित उत्पाद के मूल्यांकन के लिए पत्र जारी करवाने का भरोसा दिया था। जया जेटली ने काल्पनिक कंपनी वेस्टेंड इंटरनेशनल के प्रतिनिधि मैथ्यू सैम्युअल से दो लाख रुपये गैर कानूनी तरीके से लिए थे जबकि मुरगई को 20 हजार रुपए मिले। तीनों आरोपियों के साथ सुरेंद्र कुमार सुरेखा आपराधिक साजिश के मामले में पक्षकार थे, लेकिन सुरेखा बाद में सरकारी गवाह बन गए। इस कांड के बाद विपक्ष ने तत्कालीन रक्षा मंत्री फर्नांडिस को बुरी तरह घेर लिया था। विपक्ष के हमले के बाद इस्तीफा देने से टालमटोल कर रहे फर्नांडिस को आखिरकार झुकना पड़ा और इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा। उनसे पहले ही उनकी पार्टी समता पार्टी की तत्कालीन अध्यक्ष जया जेटली को भी इस्तीफा देना पड़ा था।

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