नई दिल्ली,भारत में अब पांचवी कक्षा तक की शिक्षा मातृ भाषा में होग, हायर एजुकेशन के लिए सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर)। उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी GER पहुंचने का लक्ष्य है। जबकि बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को कम किया जाएगा। इसमें वास्तविक ज्ञान की परख की जाएगी। कक्षा 5 तक मातृभाषा को निर्देशों का माध्यम बनाया जाएगा। रिपोर्ट कार्ड में सब चीजों की जानकारी होगी। जिसके बाद नौवीं से 12 वीं तक सेमेस्टर में पढ़ाई की जा सकेगी और विषयों के चयन का विकल्प बदलते हुए कॉमर्स की पढ़ाई करते हुए भी विज्ञान विषय लिया जा सकेगा।
ग्रेडेड स्वायत्तता के तहत कॉलेजों को शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता दी जाएगी। नए सुधारों में टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है। डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी के तहते सभी के लिए नियम समान होगा।
यह घोषणा करते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कैबिनेट बैठक में आज नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए ये बेहद महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति में स्कूल एजुकेशन से लेकर हायर एजुकेशन तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई, मुझे उम्मीद है कि देशवासी इसका स्वागत करेंगे। इसके तहत उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों में 2035 तक 50% सकल नामांकन अनुपात का लक्ष्य और एक से ज्यादा प्रवेश/एग्ज़िट का प्रावधान शामिल है।ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे। वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) बनाया जा रहा है। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा कि देश में उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक होगा। इसमें अप्रूवल और वित्त के लिए अलग-अलग वर्टिकल होंगे। वो नियामक ‘ऑनलाइन सेल्फ डिसक्लोजर बेस्ड ट्रांसपेरेंट सिस्टम’ पर काम करेगा। अमित खरे ने कहा कि अब चार साल का डिग्री प्रोग्राम, फिर एमए और उसके बाद बिना एम फिल के सीधे पीएचडी कर सकते हैं।
उच्च शिक्षा विभाग ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि GDP का 6% शिक्षा में लगाया जाए जो अभी 4।43% है। अमेरिका के NSF (नेशनल साइंस फाउंडेशन) की तर्ज पर NRF (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) लाया जा रहा है। इसमें न केवल साइंस बल्कि सोशल साइंस भी शामिल होगा। ये बड़े प्रोजेक्टों की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में आगे आने में मदद करेगा।
देश में नई शिक्षा नीति का एलान अब मातृभाषा में होगी पांचवी कक्षा तक की शिक्षा
