जिन लोगों में जेनटिक डिफेक्ट होता है, उन युवाओं को कोरोना का वायरस जल्द कर देता है संक्रमित

नई दिल्ली, कोरोना वायरस उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जिनकी उम्र ज्यादा हो या फिर जिन्हें पहले से ही कई बीमारियां हों। हालांकि कुछ युवाओं के लिए भी कोरोना जानलेवा साबित हुआ है। एक अध्ययन में सामने आया है कि यह जेनटिक डिफेक्ट की वजह से होता है। कुछ लोगों में प्राइमरी इम्युनोडिफिसिएंसी होती है जिसकी वजह से कोरोना से लड़ने वाले विषाणुरोधी रसायन कम बन पाते हैं और कोरोना शरीर को बुरी तरह प्रभावित करने लगता है। ये विषाणुरोधी रसायन होस्ट सेल से रिसता है और वायरस पर हमला कर देता है। एक वायरस प्रभावित कोशिका से ही यह रसायन निकलकर आसपास की कोशिकाओं को उससे लड़ने के काबिल बना देता है। ‘जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन’ में छपी स्टडी के मुताबिक अलग-अलग परिवारों के चार युवाओं पर यह शोध किया गया। इनके एक्स-क्रोममोजोमल टीएलआर-7 अलग-अलग थे।
इन सभी कोरोना मरीजों को आईसीयू में वेंटिलेशन की जरूरत थी। इनमें से एक की मौत हो गई। टोल लाइक रिसेप्टर 7 (टीएलआर7 ) वाली प्रोटीन पैथोजन को पहचानने और इम्युनिटी को ऐक्टिवेट करने में मदद करती है। जानकारों का कहना है कि इस शोध को और आगे बढ़ाने से कोरोना की वजह से होने वाली मौतों के बारे में और बहुत कुछ जाना जा सकता है। खासकर युवाओं की मौत किन वजहों से हो जाती है यह जानने में भी मदद मिल सकती है। फोर्टिस सी-डॉक के चेयरमैन डॉ अनूप मिश्रा ने कहा इस प्रोटीन के बारे में जानकारी से कई इन्फेक्सन से लड़ने में मदद मिल सकती है और गंभीर बीमारियों की दवा भी बनाई जा सकती है। भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या 45 साल से ज्यादा उम्र् के लोगों की ज्यादा है। मंत्रालय के डेटा के मुताबिक यहां 43 प्रतिशत मौतें उनकी हुई हैं जो 30-44 या फिर 450-59 साल के बीच थे।

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