मप्र की कल होने वाली कैबिनेट बैठक में प्याज एवं लहसुन की फसल को भी बीमा के दायरे में लाया जायेगा

भोपाल, राज्यपाल लालजी टंडन के निधन की वजह से मंगलवार को स्थगित हुई शिवराज मंत्रिमंडल की बैठक अब बुधवार को सुबह 11 बजे मंत्रालय में होगी। इसमें उद्यानिकी फसलों का बीमा तीन साल के लिए करने के प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। वहीं, प्याज एवं लहसुन की फसल भी बीमा के दायरे में लाई जाएगी।
कोरोना की रोकथाम में लगे दो थाना प्रभारियों का निधन होने पर उनके परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट की मंजूरी मिलेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में सरकार के पूर्व में लिए जा चुके निर्णय अनुमोदन के लिए रखे जाएंगे।
सूत्रों का कहना है कि बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में आने वाली उद्यानिकी फसलों का दायरा और अवधि बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार करके अंतिम निर्णय लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि उद्यानिकी फसलों का बीमा अब एक की जगह तीन साल के लिए कराया जाएगा। वहीं, प्याज एवं लहसुन की फसल भी बीमा के दायरे में लाई जाएगी।
कृषि विभाग ने बीमा दावा भी 75 से बढ़ाकर सौ फीसद करने का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे मंजूरी के लिए जल्द ही कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। दरअसल, कमल नाथ सरकार ने बीमा कंपनी को दिए जाने वाले राज्यांश की राशि में कमी के लिए फसल के लिए दिए जाने वाले कर्ज की सीमा को घटा दिया था। इससे सरकार का प्रीमियम तो कम लगा पर फसल खराब होने की सूरत में किसानों को मिलने वाला बीमा घट गया।
कृषि मंत्री कमल पटेल के पास जब खरीफ 2020 सीजन के लिए बीमा की शर्तें तय करने का प्रस्ताव पहुंचा, तो उन्होंने इस मुद्दे को पकड़ लिया। सूत्रों का कहना है कि जब तहकीकात हुई तो पता लगा कि वित्त विभाग के अधिकारियों ने खर्च में कटौती के लिए यह कदम उठाने की सिफारिश की थी। अब तय किया गया है कि फिर से कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाकर सौ फीसद किया जाएगा और इसके हिसाब से ही बीमा दावा भी बनेगा।
दो थाना प्रभारी देवेंद्र कुमार चंद्रवंशी और यशवंत पाल का कोरोना से निधन होने के कारण मुख्यमंत्री ने इन्हें कोरोना योद्धा घोषित करते हुए परिजन को अनुकंपा नियुक्ति देने की घोषणा की थी। कैबिनेट में इस फैसले का अनुमोदन का प्रस्ताव रखा जाएगा।
मंत्रियों से करेंगे अलग-अलग बैठक
बैठक खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रियों के साथ अलग-अलग बैठक भी करेंगे। इसमें वे मंत्रियों से विभागीय गतिविधियों की जानकारी लेने के साथ उनकी तैयारियों के बारे में बात करेंगे। बताया जा रहा है कि विधानसभा के उपचुनाव की तैयारी को लेकर भी मंत्रियों को जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं।

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