नई दिल्ली, भले ही दिल्ली में पीक से पहले कोरोना वायरस की वापसी देखने को मिली हो, लेकिन एक स्याह सच यह भी है कि राजधानी के मरीजों में संक्रमण के स्रोत का पता ही नहीं चल पा रहा है। कम से कम एक चौथाई मरीज ऐसे हैं जिन्हें यह ही नहीं पता कि वे संक्रमण की चपेट में कैसे आए सरकार या प्रशासनिक स्तर पर भी इसकी कोई जानकारी नहीं है। यह स्थिति तब है जब हर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वालों की पहचान, जांच और आइसोलेशन अनिवार्य है। इतना ही नहीं, दिल्ली में कंटेनमेंट या बफर जोन के साथ बाहरी क्षेत्रों में भी संक्रमण के मामले मिल रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की महानिदेशक डॉ. नूतन मुंडेजा का कहना है कि ऐसे तकरीबन 24 से 25 फीसदी मरीज हैं जो कंटेनमेंट या बफर जोन से बाहर के निवासी हैं, जबकि कई इलाकों में यह संख्या काफी ज्यादा है।
मेडिकल टीमों को भ्रमित करते हैं लोग
स्वास्थ्य विभाग के ही एक अन्य अधिकारी ने बताया कि संक्रमित मरीजों से ज्यादा उनके संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान कर पाना काफी मुश्किल हो रहा है। फील्ड का दौरा करने वाली टीमों को सबसे ज्यादा दिक्कत लोगों से सहयोग न मिल पाना भी है। कई बार लोग झूठी जानकारी देकर टीम को भ्रमित तक कर देते हैं। ऐसे में उम्मीद यही की जा सकती है कि लोग मेडिकल टीम का पूरा सहयोग करते हुए कोरोना वायरस की इस लड़ाई को मिलकर कामयाबी तक पहुंचाएं। हालांकि, उनका यह भी मानना है कि संक्रमण का स्रोत पता न होने का मतलब सीधे तौर पर सामुदायिक फैलाव की ओर इशारा है, लेकिन इस बारे में पुष्टि करने का अधिकार दिल्ली का नहीं बल्कि केंद्र सरकार का है, जो शुरुआत से अब तक देश में सामुदायिक फैलाव से इंकार करते आए हैं। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई जैसे शहरों में इसकी झलक देखने को मिल चुकी है।
कोरोना के सामुदायिक फैलाव की आशंका एक चौथाई से ज्यादा मरीजों को नहीं पता संक्रमण का स्रोत
