कानपुर, कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के साथी रहे एवं एक मुठभेड़ के दौरान मारे गए अमर दुबे की पत्नी को पहले गिरफ्तार करने वाली पुलिस ही अब उसकी रिहाई में मदद करेगी। पुलिस अदालत को बतायेगी कि बिकरू गांव में पुलिस दल पर घात लगाकर किये गये हमले में उसके शामिल होने के कोई साक्ष्य नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर दो जुलाई की घटना की जांच के लिए गठित एसआईटी ने दूसरे दिन संबंधित पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए।
पुलिस के आधिकारिक प्रवक्ता ने सोमवार को बताया कि जांच अधिकारी से कहा गया है कि वह अदालत के समक्ष जल्द से जल्द क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करें और अमर की पत्नी की रिहाई सुनिश्चित करायें। प्रवक्ता ने कहा कि जांच अधिकारी से यह भी कहा गया है कि वह अमर की पत्नी खुशी दुबे को लेकर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने में वरिष्ठ अभियोजना अधिकारियों की मदद लें। अमर दुबे के हमीरपुर में मुठभेड़ के दौरान मारे जाने के बाद उसकी पत्नी खुशी को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। अमर का कथित तौर पर पुलिस दल पर हुए हमले में हाथ था, जिसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। अमर दुबे का मुठभेड़ के नौ दिन पहले ही विवाह हुआ था। मुठभेड़ के बाद पुलिस ने उसकी नवविवाहिता पत्नी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
दूसरी ओर बिठूर के थाना प्रभारी कौशलेन्द्र प्रताप सिंह सोमवार को विशेष अनुसंधान टीम (एसआईटी) के समक्ष सर्किट हाउस में पेश हुए और अपना बयान दर्ज कराया। सिंह को पुलिस दल पर हुए हमले में दो गोलियां लगी थीं। उन्होंने अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेडडी के नेतृत्व वाली एसआईटी को बताया कि उन्हें चैबेपुर थाना प्रभारी विनय तिवारी का मध्यरात्रि में फोन आया, जिसके बाद वह अपने सब इंस्पेक्टरों और लगभग दस कांस्टेबलों के साथ विकास दुबे के यहां दबिश के लिए बिकरू गांव गये। सूत्र बताते हैं कि सिंह ने एसआईटी को बताया कि जो टीम विकास दुबे को गिरफ्तार करने गयी थी, उसका नेतृत्व बिल्हौर के क्षेत्राधिकारी कर रहे थे और उसमें करीब तीन दर्जन पुलिसकर्मी थे। सिंह ने एसआईटी को बताया कि पुलिस दल ने अपने वाहन घटनास्थल से एक किलोमीटर पहले ही छोड़ दिये थे और पैदल ही आगे बढे। जैसे ही वे जेसीबी मशीन से आगे बढे, अचानक गोलियों की बौछार शुरू हो गयी। इसके बाद सभी तितर-बितर हो गये। जिन पुलिसकर्मियों के पास हथियार नहीं थे, उन्होंने छिपने का प्रयास किया जबकि हथियारबंद पुलिसवालों ने मोर्चा संभाला।
थाना प्रभारी ने आगे बताया कि वह दो अन्य पुलिसकर्मियों के साथ एक दीवार के सहारे बैठ गये और चार से पांच राउण्ड फायर किये लेकिन अपराधी चूंकि छतों पर थे इसलिए उनकी रेंज में नहीं आये। इस दौरान उन्हें दो गोलियां लगीं। साथ में बैठे कांस्टेबल अजय सेंगर ने बताया कि उसके पेट में गोली लगी है जबकि दूसरे कांस्टेबल के हाथ में गोली लगी। सिंह ने बताया कि वह किसी तरह वहां से हटे और टूटे दरवाजे वाले एक मकान के भीतर दाखिल हो गये। सिंह ने बताया कि जब वे बिकरू गांव पहुंचे थे तो बत्तियां जल रही थीं और छतों पर खड़े अपराधियों की जद में वे आसानी से आ गये हालांकि बाद में बिजली गुल हो गयी।
विदित हो कि एसआईटी ने रविवार को कानपुर देहात के शिवली थाने पहुंचकर वहां से संतोष शुक्ला की हत्या से जुडी जानकारी एकत्र की। शुक्ला दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री थे और 2001 में उनकी थाने के भीतर हत्या की गयी थी। उल्लेखनीय है कि कानपुर नगर में घटित घटना के सम्बन्ध में शासन ने प्रकरण की जांच विशेष अनुसंधान दल से कराने का शनिवार को निर्णय लिया गया था। इस सम्बन्ध में अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) का गठन किया गया। अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा तथा पुलिस उपमहानिरीक्षक जे रवीन्द्र गौड़ को एसआईटी का सदस्य नामित किया गया है। विशेष अनुसंधान दल प्रकरण से जुड़े विभिन्न बिन्दुओं और प्रकरण की गहन जांच करते हुए आगामी 31 जुलाई तक जांच रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराना है।