फ्लोरिडा, चिकित्सा विज्ञान में विचित्र बीमारियों और घातक वायरसों को लेकर शोध जारी रहते है ऐसे में कोरोना महामारी के बीच अमेरिका के फ्लोरिडा में एक अन्य दुर्लभ मस्तिष्क खाने वाले अमीबा के एक मामले की पुष्टि हुई है। फ्लोरिडा के स्वास्थ्य विभाग ने दिमाग को खाने वाले ‘नेगलेरिया फाउलेरी’ नाम के अमीबा के संक्रमण की पुष्टि करते हुए ये जानकारी दी है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक यह अमीबा मनुष्य के शरीर को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है। यह अमीबा हमारे मस्तिष्क में प्राइमरी एम्बेरिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस नाम के इंफेक्शन को जन्म देता है। यह इंफेक्शन दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है। मालूम हो, साल 1962 में भी अमेरिका के इसी इलाके में इस अमीबा के 37 मामले सामने आए थे। डॉक्टर्स के मुताबिक यह अमीबा बेहद खतरनाक है साथ ही यह बहुत आसानी से मनुष्य के दिमाग में दाखिल हो सकते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक अमीबा की यह प्रजाति आमतौर पर झील, नदी या तालाब के ताजे और गर्म पानी में मिलती है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को चेतावनी दी है कि वे ऐसे किसी भी पानी से भरे खासकर कि गर्म पानी से भरे स्थान पर ना जाएं। पानी में तैरने के दौरान यह हमारे नाक के रास्ते मस्तिष्क में आसानी से दाखिल हो सकता है। सिंगल सेल होने के चलते यह बहुत ही सूक्ष्म होता है और हमें पता भी नहीं चलता कि यह कब हमारे शरीर में घुस जाता है। फ्लोरिडा के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि अमेरिका में 1967 से 2017 के बीच अमीबा के संक्रमण के 143 मामले सामने आ चुके हैं। यह बहुत रेयर बीमारी है। इन 143 मामलों में से सिर्फ 4 लोगों की ही जान बच पाई थी। जुलाई और अगस्त इस अमीबा के लिए सबसे अनुकूल मौसम होता है क्योंकि इस दौरान तापमान ज्यादा होता है।
अमीबा एक कोशिकीय प्रोटोजोअल जीव होता है। एक अमीबा में न्यूट्रीशन एक प्रक्रिया के माध्यम से होता है जिसे फागोसाइटोसिस कहा जाता है। अमीबा भोजन के रूप में बेक्टीरिया, एल्गी या अन्य पौधे या मृत जानवर को खाता है। यह एक आकारहीन सेल है जिसके पास ना ही मुंह होता है और ना ही कोई सक्शन तंत्र लेकिन फिर भी यह भोजन ग्रहण करते हैं। नेग्लेरिया फाउलेरी नामक अमीबा के संक्रमण के बाद शरीर में कुछ खास लक्षण दिखाई देते हैं। पीड़ित व्यक्ति को भयानक सिर दर्द, उल्टी, बुखार रहने लगता है। जैसे-जैसे मस्तिष्क में यह संक्रमण बढ़ता है वैसे-वैसे लक्षण भी भयानक होते जाते हैं। गर्दन अकड़ जाती है और दौरे पड़ने लगते हैं। गंभीर अवस्थाओं में व्यक्ति कोमा में भी चला जाता है। लक्षण दिखने के 1 से 8 दिन के अंदर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।