भोपाल, अनलॉक के बीच राज्य में हालात सामान्य होते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रहे हैं। इसके बाद करीब एक दर्जन से ज्यादा निगम-मंडलों में भी नियुक्तियां की जाएंगी। इनमें उन भाजपा नेताओं को एडजस्ट किया जाएगा, जिनका टिकट काटकर सिंधिया समर्थकों को उपचुनाव में उतारा जाएगा। यह पूरी कवायद अगले कुछ महीनों के भीतर प्रदेश में 24 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए की जाएगी। निगम मंडलों में ग्वालियर-चंबल के नेताओं को ज्यादा तवज्जो मिल सकती है। क्योंकि इस क्षेत्र की 16 सीटों पर उपचुनाव होना है।
प्रदेश में शिवराज सरकार विधानसभा में मौजूदा सदस्य संख्या के हिसाब से बहुमत में है, लेकिन उपचुनाव में भाजपा की कोशिश 15 सीट जीतने की होगी। हालांकि भाजपा के लिए इतना आसान नहीं है। क्योंकि 24 विधानसभा सीटों में से 16 सीट तो ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं। इनमें से 15 सीटों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों ने मार्च में सामूहिक इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार को गिरा दिया था। अब उन सीटों पर उपचुनाव होना है। जिन विधायकों ने इस्तीफा दिए थे, वे भाजपा के टिकट पर उसी सीट से चुनाव मैदान में आएंगे। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थकों को जिताने की अभी से गोटियां फिट करना शुरू कर दिया है। भाजपा अंदरूनी तौर पर चुनावी रणनीति बनाने में जुटी है। संगठन सूत्रों से खबर है कि उपचुनाव से पहले निगम-मंडलों में नियुक्तियां की जाएंगी। जिसमें उन भाजपा नेताओं को एडजस्ट किया जाएगा, जो उपचुनाव वाली सीट पर टिकट के दावेदार हैं। फिलहाल भाजपा के किसी भी नेता ने उपचुनाव को लेकर अपना मुंह नहीं खोला है। वे उपचुनाव तक इंतजार कर रहे हैं। इससे पहले संगठन ऐसे नेताओं के पास जाकर उन्हें टिकट की दौड़ से पीछे हटने के लिए मनाएगा। इसके एवज में उन्हें उपचुनाव से पहले निगम-मंडलों में एडजस्ट किया जा सकता है या फिर उपचुनाव के बाद सत्ता और संगठन में जिम्मेदारी दी जाएगी।
उपचुनाव से पहले फिर होगी तोडफ़ोड़
विधानसभा उपचुनाव से पहले राजनीतिक दलों में एक बार फिर बड़ी तोडफ़ोड़ हो सकती है। दोनों दल एक-दूसरे के नेताओं के संपर्क में है। सबसे बड़ी दलबदल की संभावना ग्वालियर-चंबल संभाग में हो सकती है। क्योंकि इसी क्षेत्र में ज्यादा सीटों पर उपचुनाव होना है। हालांकि मप्र कांग्रेस ने सिंधिया समर्थक कांग्रेसियों को बाहर कर दिया है या फिर उन्हें किनारे कर दिया है। भाजपा की नजर उन नेताओं पर है, जिन्हें कांग्रेस उपचुनाव में प्रत्याशी बना सकती है। वहीं कांग्रेस भी भाजपा के उन नेताओं के संपर्क में है, जो सिंधिया कांग्रेस के भाजपा में शामिल होने से हासिए पर चले गए हैं या उनका राजनीतिक भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।
दलित नेताओं पर भाजपा की नजर
प्रदेश में 24 में से 10 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जो अजा-अजजा वर्ग के लिए आरक्षित हैं। 9 विधानसभा सीट ऐसी हैं जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 7 सीट ग्वालियर-चंबल की है। ऐसे में भाजपा की नजर दलित नेताओं पर है। चुनाव से पहले भाजपा ग्वालियर-चंबल संभाग के बड़े दलित नेताओं को भाजपा में शामिल कर सकती है। इनमें से कुछ नेताओं को निगम-मंडलों में एडजस्ट भी किया जा सकता है।