मुम्बई,भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच लालचंद राजपूत ने कहा है कि भारतीय टीम के कप्तान रहे राहुल द्रविड़ ने ही 2007 टी 20 विश्वकप में सचिन तेंडुलकर और सौरभ गांगुली को खेलने से रोका था। इस पहले टी20 विश्व कप में टीम के मैनेजर रहे राजपूत ने कहा कि द्रविड़ का मानना था की इस नए प्रारूप में युवा खिलाड़ियों को अवसर मिलना चाहिए जिससे वे नए कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में बेखौफ होकर खेल सकें। भारत ने इस विश्वकप में शानदार जीत दर्ज की थी। राहुल ने तब अनुभवी खिलाड़ियों से कहा था कि इस टूर्नामेंट के लिए युवाओं को मौका दिया जाना चाहिए।
राजपूत ने कहा कि इससे लाभ ये हुआ की पहली बार महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी देखने को मिली। सभी ने देखा कि वह कैसे अहम अवसरों पर शांत रहते थे और कठिन मौकों पर सही फैसले लेते थे। राजपूत ने भी एक कप्तान के रूप में धोनी को आगे बढ़ते हुए देखा। राजपूत ने कहा कि उन्हें शुरू से ही इस बात पर भरोसा था कि धोनी भारत के सबसे सफल कप्तान बन सकते हैं। इसका कारण यह रहा कि धोनी बहुत शांत रहते थे। वह विपक्षी टीम से दो कदम आगे की सोचते थे। एक प्रकार से देखा जाये तो उनमें सौरभ गांगुली और राहुल द्रविड़ दोनो की खूबियां थीं। गांगुली खिलाड़ियों को भरोसा देते थे। वह ऐसे कप्तान थे जिन्होंने भारतीय क्रिकेट की मानसिकता को बदला। मुझे लगता है कि यह परंपरा को धोनी ने आगे बढ़ाया।