मंडी शुल्क घटा सकती है सरकार, मानसून सत्र में आएगा संशोधन विधेयक

भोपाल, प्रदेश में किसानों को उपज का वाजिब दाम दिलाने के लिए निजी मंडी की स्थापना और व्यापारियों को खेत व घर से उपज खरीदने की छूट देने के बाद अब सरकार मंडी फीस भी घटा सकती है। दरअसल, केंद्र सरकार एक देश-एक कृषि बाजार की व्यवस्था बनाने के लिए कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश लाई है। इसके जरिए राज्य कृषि उपज विपणन कानून के तहत अधिसूचित मंडियों के परिधि के बाहर बाधामुक्त कृषि व्यापार की व्यवस्था बनाई है। इसके मद्देनजर शिवराज सरकार ने मंडी अधिनियम में संशोधन के लिए जो अध्यादेश जारी किया था, उसको लेकर विधानसभा के मानसून सत्र में विधेयक लाया जाएगा। इसमें मंडी में व्यापार करना और सरल बनाया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक अपर मुख्य सचिव श्रम डॉ. राजेश राजौरा की अगुवाई वाली समिति मंडी अधिनियम में संशोधन का खाका तैयार कर रही है। इसमें मंडी में होने वाले व्यापार को सुरक्षित करने के साथ-साथ कृषि उपज के मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने के प्रावधान किए जाएंगे। मंडी क्षेत्र के बाहर कृषि उपज की खरीद के लिए निजी मंडी की स्थापना, सौदा पत्रक के माध्यम से किसानों से सीधी खरीद के नियम, भुगतान के साथ निगरानी व्यवस्था भी बनाई जाएगी। कृषि उपज के मुक्त व्यापार से मंडियों की आय में कमी आ सकती है।
मंडियों में होने वाले सौदे में प्रति क्विंटल डेढ़ प्रतिशत मंडी शुल्क लिया जाता है। नए प्रावधानों में इसे घटाया जा सकता है, ताकि किसान मंडी में अपनी उपज लेकर आएं। हालांकि, निजी क्षेत्र की मंडियों में होने वाले व्यापार पर भी एक निर्धारित शुल्क लिया जाएगा। निगरानी के लिए संचालक स्तर का एक पद निर्मित होगा, जिसका मंडी बोर्ड से कोई लेना-देना नहीं रहेगा। यह सीधे कृषि विभाग के अधीन होगा। कृषि अधिकारियों का कहना है कि विधानसभा के मानसून सत्र में मंडी अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक लाया जाएगा। इसके प्रारूप का जल्द ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने प्रस्तुतिकरण होगा।

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