जबलपुर,75 दिनों के लॉकडाउन के कारण इन दिनों पान की खेती करने वाले किसानों को जबर्दस्त नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनका पान बिक नहीं रहा। एक जानकारी के अुनसार लॉक डाउन से पहले सौ रूपये सैकड़ा तक बिकने वाले पान को अब बीस रूपये सैकड़ा तक में खरीददार नहीं मिल रहे। बरेजा में टूटने के लिए तैयार पान के पत्तों की तुड़ाई न होने के कारण पत्ते खुद टूटकर नीचे गिर रहे हैं। बरेजों के अंदर पान में एक-दूसरे से टकराकर सड़ भी रहे है। लॉक डाउन के चलते बाजार के हालत यह हैं कि कोई 15 से 20 रुपए प्रति सैकड़ा पान पत्ता खरीदने कोई तैयार नहीं है। गौरतलब है कि गांधीग्राम बुढ़ागर, देवनगर सहित आसपास के करीब 2 सौ पान के बरेजे हैं। जहां करीब 40 से 50 एकड़ में पान की खेती होती हैं। किसानों ने बताया कि गांधी ग्राम के बंगला पान की डिमांड प्रदेश सहित देश की कई मंडियों में हैं।
पान व्यवसाय चौपट
बीते 80 दिनों से पान की खपत नहीं है। प्रतिदिन होने वाली फुटकर खरीदी और बिक्री बंद होने के कारण किसान की हालत बिगड़ रही है। पान एक परंपरागत फसल है और पान पाइपरेसी कुल का पौधा है। यह तांबूली या नागवल्ली नामक लता का पत्ता है। पान की अलग ही अहमियत है वैसे तो इसका सेवन केवल एक शौक के तौर पे किया जाता है पान का इस्तेमाल धार्मिक पूजा पाठ व सभी सांस्कृतिक कार्यों में भी होता है। जबलपुर सहित आसपास के जिलों में इसकी खेती की जाती है। कई लोग इसको अपने घरों में भी उगाते हैं इसकी बेल बहुत आसानी से कहीं भी लगाई जा सकती है। अल्लाह होने के बाद पान की दुकानें खुुल जाने पर भी पहलेे जैसी डिमांड नहीं रही
लॉकडाउन के कारण ये पड़ा असर
लॉक डाउन के कारण पूरा बाजार बंद हो गया था। वहीं आवागमन के साधन भी बंद हो गए थे अभी भी आवागमन के पूरे साधन नहीं है इससे किसान मंडी तक पान नहीं पहुंचा पा रहे हैं। बाजार बंद होने से पान की डिमांड में भी भारी कमी आई हैं। किसानों का कहना है कि व्यापारी भी पहले गांव पहुंचकर पान ले जाते थे, लेकिन अब कोई नहीं आ रहा हैं।
एक दिन छोड़ दूसरे दिन तुड़ाई
पान पत्तों को दंती के साथ ही तोड़ा जाता है, इससे वह जल्दी खराब नहीं होते। पान फसल की तुड़ाई एक समय अंतराल में होना निर्धारित रहती है। पान का पत्ता बेल में अधिक दिन तक नहीं टिकता। निश्चित अवधि के पान पत्ती टूटकर या सड़कर गिरने लगती है।
महाकौशल क्षेत्र में पान किसानों का बुरा हाल, बरेजों में सड़ रही फसल
