भोपाल, स्कूल खुलने में देरी होने के कारण मप्र स्कूल शिक्षा विभाग कोर्स में कटौती करने की तैयारी में है। इसके लिए विभाग कमेटी गठित कर सिलेबस की समीक्षा कर रहा है। खासतौर पर 9वीं से 12वीं के कोर्स को छोटा किया जाएगा। लॉकडाउन के कारण शैक्षणिक सत्र 2020-21 में स्कूल नहीं खुल पाए हैं। इस कारण स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत नहीं हो पाई। अब स्कूल खुलेंगे, तो भी कोर्स पूरा कराना संभव नहीं है। कोर्स में कटौती को लेकर शिक्षाविदों का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के हिसाब से पहले ही मप्र स्कूली पाठ्यक्रम पर्याप्त नहीं माना जाता है, क्योंकि अभी तक तो एनसीईआरटी की किताबें लागू नहीं थीं। पिछले साल से 9वीं से 12वीं तक विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, कॉमर्स आदि की किताबें एनसीईआरटी की ली गई हैं। अभी भी कुछ विषयों की किताबें मप्र बोर्ड की ही चलाई जा रही हैं। अगले साल तक भाषा और कला की किताबें भी एनसीईआरटी की ले ली जाएंगी। ऐसे में मप्र स्कूल शिक्षा विभाग पाठ्यक्रम को और भी छोटा करेगा तो इसका मतलब होगा विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं कठिन हो जाएंगी। शिक्षाविदें का मानना है कि स्कूलों में छुट्टियां कम करके भी पाठ्यक्रम को छोटा करने से बच सकते हैं। इसके अलावा कालखंड बढ़ाकर भी कोर्स को पूरा किया जा सकता है। सालभर में स्कूल 280 दिन लगते हैं, लेकिन इस बार संभव नहीं है। इसके लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर सिलेबस को पूरा कर सकते हैं। स्कूलों का पाठ्यक्रम न काटना पड़े। इसके लिए विभाग अपने स्कूलों को दिसंबर के पहले सप्ताह में पूरा करने के लिए कहता है। अगर पूरे दिसंबर पढ़ाया जाए और वार्षिक परीक्षा को फरवरी के बदले मार्च में लिया जाए तो कोर्स को पूरा किया जा सकता है। इस बारे में शिक्षाविद् सुनीता सक्सेना का कहना है कि स्कूली सिलेबस को छोटा करने से विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में कठिनाई होगी। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 9वीं से 12वीं का पाठ्यक्रम महत्वपूर्ण होता है।
मप्र में स्कूल शिक्षा विभाग कोर्स में कर सकता है कटौती
