मुंबई,हिंदी सिनेमा को शुरूआती दौर में जिन अभिनेत्रियों ने एक अलग उंचाई दी है उनमें एक नाम उस दौर की खूबसूरत अभिनेत्री नरगिस का भी है। नरगिस उन अभिनेत्रियों में थीं जिन्होंने इतिहास रचा। मदर इंडिया, आवारा, बरसात और श्री 420 जैसी फिल्मों में महिलाओं की भूमिका को सशक्त रुप में वह सामने लायीं।
नरगिस के बचपन का नाम फातिमा राशिद था। नरगिस के पिता उत्तमचंद मोहनदास एक जाने-माने डॉक्टर थे। उनकी मां जद्दनबाई मशहूर नर्तक और गायिका थी। मां के सहयोग से ही नरगिस फ़िल्मों से जुड़ीं और उनके करियर की शुरुआत हुई फ़िल्म ‘तलाश-ए-हक’ से। जिसमें उन्होंने बतौर बाल कलाकर काम किया। उस समय उनकी उम्र महज 6 साल की थी। इस फ़िल्म के बाद वो बेबी नरगिस के नाम से मशहूर हो गयीं। इसके बाद उन्होंने कई फ़िल्में की। नरगिस राज्यसभा के लिए नामांकित होने और पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली पहली हीरोइन थीं।
राज कपूर से बढ़ी नजदीकियां
1940 से लेकर 1950 के बीच नरगिस ने कई बड़ी फ़िल्मों में काम किया। जैसे ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘दीदार’ और ‘श्री 420’। तब राज कपूर का दौर था। नरगिस ने राज कपूर के साथ 16 फ़िल्में की और ज़्यादातर फ़िल्में सफल साबित हुईं। इस बीच दोनों में नजदीकियां भी बढ़ने लगीं और दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया। उसने दूसरे निर्माताओं की फ़िल्मों में काम करके आर.के फ़िल्म्स की खाली तिजोरी को भरने का काम भी किया।
ब्रेक-अप
राज कपूर जब 1954 में मॉस्को गए तो अपने साथ नरगिस को भी ले गए। कहते हैं यहीं दोनों के बीच कुछ ग़लतफ़हमी हुई और दोनों के बीच इगो की तकरार इतनी बढ़ी कि वह यात्रा अधूरी छोड़कर नरगिस इंडिया लौट आईं। 1956 में आई फ़िल्म ‘चोरी चोरी’ नरगिस और राज कपूर की जोड़ी वाली अंतिम फ़िल्म थी। वादे के मुताबिक, राज कपूर की फ़िल्म ‘जागते रहो’ में भी नरगिस ने अतिथि कलाकार की भूमिका निभाई थी। यहां से दोनों के रास्ते बदल गए।
सुनील दत्त से प्यार और शादी
राज कपूर से अलग होने के ठीक एक साल बाद नरगिस ने 1957 में महबूब ख़ान की ‘मदर इंडिया’ की शूटिंग शुरू की। मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग गई। सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर नरगिस को बचाया और दोनों में प्यार हो गया। मार्च 1958 में दोनों की शादी हो गई। दोनों के तीन बच्चे हुए, संजय, प्रिया और नम्रता। अपनी किताब ‘द ट्रू लव स्टोरी ऑफ़ नरगिस एंड सुनील दत्त’ में नरगिस कहती हैं कि राज कपूर से अलग होने के बाद वो आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगी थीं, लेकिन उन्हें सुनील दत्त मिल गए,जिन्होंने उन्हें संभाल लिया। नरगिस कहती हैं कि उन्होंने अपने और राज कपूर के बारे में सुनील दत्त को सब-कुछ बता दिया था। सुनील दत्त पर नरगिस को काफी भरोसा था और दुनिया जानती है यह जोड़ी ताउम्र साथ रही।
समाज सेवा
नरगिस एक अभिनेत्री से ज्यादा एक समाज सेविका थीं। उन्होंने असहाय बच्चों के लिए काफी काम किया। उन्होंने सुनील दत्त के साथ मिलकर ‘अजंता कला सांस्कृतिक दल’ बनाया जिसमें तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे और उनका मनोरंजन करते थे। गौरतलब है कि कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से जूझते हुए नरगिस कोमा में चली गयीं। 3 मई 1981 को मुंबई में उनका निधन हुआ।