भोपाल, मप्र में 20 मार्च तक रजिस्ट्रियां हुईं और उसके बाद लॉकडाउन के चलते ठप पड़ी रही। अब फिर पंजीयन विभाग ने रजिस्ट्रियां शुरू की हैं। पंजीयन विभाग का कहना है कि 30 जून तक गत वर्ष यानी पुरानी गाइडलाइन पर ही रजिस्ट्री होगी और निर्माण लागत भी नहीं बढ़ाई गई है। इसके अलावा पंजीयन शुल्क में आधा प्रतिशत की छूट भी दी गई है। गत वर्ष पंजीयन विभाग को 1175 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी।
प्रदेश सरकार का खजाना खाली है, जिसके चलते शराब दुकानों से लेकर अचल सम्पत्तियों की रजिस्ट्रियों की प्रक्रिया को भी शुरू करवाया जा रहा है। भोपाल शहर और इंदौर जिला चूंकि रेड जोन में है इसलिए पिछले दिनों रजिस्ट्रियां शुरू नहीं हो सकी। मगर अब शासन की नई गाइडलाइन के चलते कलेक्टर ने पंजीयन करवाने की अनुमति दे दी और पंजीयन कार्यालय भी खुल गए। हालांकि अभिभाषकों, स्टाम्प वेंडर और सर्विस प्रोवाइडरों को ही ऑफिस की बजाय घर से ही काम करने की अनुमति दी गई है। इसका विरोध भी किया जा रहा है।
अभिभाषकों का भी कहना है कि घर बैठकर रजिस्ट्रियां का कार्य करवाना संभव नहीं है और सर्विस प्रोवाइडर को भी अनुमति दी जाना चाहिए। पंजीयन कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक कोरोना प्रोटोकॉल के तहत सभी सावधानी बरती जा रही है। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सेनेटाइजेशन और सभी आवश्यक प्रबंध पंजीयन कार्यालय में किए गए हैं।
नई गाइडलाइन भी लागू नहीं
1 अप्रैल से हर साल नई गाइडलाइन लागू होती है, मगर इस बार चूंकि 25 मार्च से ही लॉकडाउन घोषित हो गया था, जिसके चलते नई गाइडलाइन भी लागू नहीं हो सकी और शासन ने अपने प्रशासनिक आदेश से जो निर्माण लागत में वृद्धि की थी उसे भी अभी लागू नहीं किया गया है। जानकारी के मुताबिक गत वर्ष की गाइडलाइन पर ही अभी 30 जून तक रजिस्ट्रियां होंगी और इसके साथ ही निर्माण लागत भी पुरानी ही लागू रहेगी और पिछले दिनों शासन ने पंजीयन शुल्क में आधा प्रतिशत की छूट दी है। उसका भी लाभ मिलेगा। पहले पंजीयन शुक्ल 3 प्रतिशत था, जो अब ढाई प्रतिशत लगेगा।