नई दिल्ली,जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रखने की अवधि को 3 महीने तक के लिए बढ़ा दिया है। कोरोना संकट को देखते हुए जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को अस्थायी जेल से उनके घर में शिफ्ट किया गया है, लेकिन हिरासत से राहत नहीं मिली है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले से पहले उन्हें हिरासत में लिया गया था। पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को मोदी सरकार ने निष्प्रभावी कर दिया था। इस फैसले से पहले राज्य के सैकड़ों नेताओं को हिरासत में लिया गया था। हालात सामान्य होने के साथ अधिकतर लोगों को रिहा किया जा चुका है। महबूबा मुफ्ती बीजेपी के साथ राज्य में गठबंधन सरकार भी चला चुकी हैं। वह अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर कई बार गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुकी थीं।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को रिहा किया जा चुका है। इन दोनों के ऊपर भी पीएसए लगाया गया था, जिसे वापस ले लिया गया है। फारूक और उमर अब्दु्ल्ला ने महबूबा सहित नजरबंद सभी नेताओं को रिहा करने की अपील की थी। जम्मू-कश्मीर में 1978 में अस्तित्व में आए जन सुरक्षा कानून के तहत किसी व्यक्ति को बिना ट्रायल के ही 6 महीने जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार इस अवधि को 2 साल तक बढ़ा सकती है। दरअसल इसमें दो प्रावधान हैं। पहला लोक व्यवस्था और दूसरा राज्य की सुरक्षा को खतरा। पहले प्रावधान के तहत किसी को बिना मुकदमा छह महीने और दूसरे प्रावधान के तहत दो साल तक जेल में रखा जा सकता है।