हिसार, हरियाणा के हिसार जिले की बेटी और ओलंपियन पूनम मलिक लॉकडाउन में खेतों में गेंहू काट रही हैं। जब खेतों में काम के लिए मजदूर नहीं मिलने पर पूनम मलिक ने खुद ही दरांती उठाकर गेंहू की कटाई में जुट गई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने वाली पूनम मलिक अब परिजनों की मदद कर रही है। पूनम मलिक हिसार के उमरा गांव की रहने वाली हैं,वहां बतौर फॉरवर्ड प्लेयर भारतीय हॉकी टीम की खिलाड़ी रही हैं। साल 2016 में रियो ओलंपिक में पूनम मलिक ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था, अब वहां आयकर विभाग में बतौर इंस्पेक्टर हैं, साथ ही हिसार में खिलाड़ियों को ट्रैनिंग दे रही हैं। लॉकडाउन में अब सब बंद है और मजदूरों की भी किल्लत है,तब पूनम मलिक ने खुद ही दरांती उठा ली है। वहां माता पिता के साथ मिलकर फसलों की कटाई कर रही हैं। पूनम बताती है कि गेंहू की फसल की कटाई करना उनके जीवन का यादगार पल बन गया है पूनम मलिक ने बताया कि पिता किसान दलबीर सिंह किसान हैं।
पूनम ने बताया कि पिता किसान होकर संघर्ष करते रहे हैं। माता गृहणी है,तब मां के जीवन से भी बहुत सीख ली है। पूनम बताती है कि गांव उमरा में खेल के लिए अच्छी व्यवस्था है और घर के पास ही खेल मैदान है तो उसे भी दूसरे बच्चों को देखकर खेलने का मन हुआ था, जिसके बाद छठी कक्षा में ही हॉकी थाम ली थी। पूनम ने अपने जीवन की सबसे यादगार पल को सांझा करते हुए कहा कि जब वहां 15 साल की थी, तब उन्हें भारतीय टीम में खेलने का मौका मिला था। यह समय उसके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और आसमान को छू लेने वाला था। साल 2016 में रियो ओलंपिक में खेलने का मौका मिला। पूनम ने बताया कि वो करीब 200 मैच खेल चुकी हैं। पूनम मलिक अपने गुरुजनों को अपनी कामयाबी का क्रेडिट देते हुए कहा कि हॉकी कोच जगजीत सिंह मलिक और कोच आजाद सिंह मलिक से हॉकी खेल की बारीकियां सीखी जिससे खेल में काफी निखार आया।