देश में पिछले 4 दिनों में 6 लोगों पर लगाया गया आपा

नई दिल्ली, हाल ही में दिल्ली में हुए उपद्रव के मामले में गिरफ्तार किए करीब 4 लोगों पर केंद्र सरकार ने यूएपीए लगाया है। वहीं, कश्मीर में भी एक फोटोग्राफर और एक पत्रकार पर भी पिछले दिनों यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई है। दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र नेता रहे उमर खालिद पर उत्तरी पूर्वी दिल्ली के इलाके में हुई हिंसा को लेकर यूएपीए लगा दिया गया है। केंद्र सरकार ने उमर खालिद के अलावा उत्तर पूर्वी दिल्ली के भजनपुरा के रहने वाले दानिश पर भी यूएपीए लगाया गया है। इससे पहले जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र और राष्ट्रीय जनता दल की युवा शाखा के नेता मीरान हैदर, जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मीडिया को-ऑर्डिनेटर सफूरा जरगर को दिल्ली हिंसा की साजिश और हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया है, जो न्यायिक हिरासत में हैं। केंद्र सरकार ने इन दोनों लोगों पर भी यूएपीए लगाया है। मीरान हैदर पीएचडी छात्र हैं और जरगर जामिया मिल्लिया इस्लामिया से एम।फिल कर रही।
एफआईआर के मुताबिक, खालिद उमर ने कथित तौर पर दो स्थानों पर भड़काऊ भाषण दिए थे और भारत में अल्पसंख्यकों का हाल कैसा है, इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के दौरान लोगों से सड़क पर उतरकर इसे बंद करने के लिए कहा था। पुलिस का आरोप है कि दानिश को हिंसा में हिस्सा लेने के लिए दो जगहों पर लोगों को इकट्ठा करने की जिम्मेदारी दी गई थी।दिल्ली पुलिस ने कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया हिंसा और उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा के मामले में जांच निष्पक्ष तरीके से की गई और वैज्ञानिक साक्ष्यों के विश्लेषण के बाद यह गिरफ्तारियां की गईं। पिछले साल दिसंबर में पुलिस कथित तौर पर सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के हिंसक हो जाने के बाद जामिया परिसर में दाखिल हुई थी।
वहीं, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पत्रकार मसरत जहरा के खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘राष्ट्र-विरोधी” पोस्ट अपलोड करने के लिए यूएपीए के तहत सोमवार को मामला दर्ज किया। उसी दिन शाम होते-होते द हिंदू अखबार के रिपोर्टर पीरजादा आशिक के खिलाफ भी तथ्यात्मक रूप से गलत खबर छापने को लेकर यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई है। हालांकि, इन दोनों पत्रकारों पर यूएपीए के तहत की गई कार्रवाई को लेकर जम्मू-कश्मीर प्रेस क्लब और भारतीय एडिटर्स गिल्ड ने सरकार की अलोचना की थी। एडिटर्स गिल्ड ने मंगलवार को कहा था कि सरकार की इन कार्रवाइयों पर वह हैरत में है और इसका विरोध करता है। सिर्फ सोशल मीडिया या मुख्यधारा की मीडिया में कुछ छपने पर इस कानून का सहारा लेना सत्ता का खुला दुरुपयोग है। इसका मकसद सिर्फ इन पत्रकारों को आतंकित करना ही हो सकता है। यह भी लगता है कि यह पूरे देश के पत्रकारों को डराने का अप्रत्यक्ष तरीका है।’ एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में यह भी कहा था कि इन पत्रकारों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। गिल्ड ने कहा था कि यदि सरकार को रिपोर्टिंग से कोई शिकायत भी थी तो उसके समाधान के लिए दूसरे तरीके हैं।

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