कहीं गोपाल भार्गव को मप्र विधानसभा का अध्यक्ष तो नहीं बनाया जा रहा ?

भोपाल, पूर्व मंत्री और 8 बार के विधायक गोपाल भार्गव विधानसभा अध्यक्ष हो सकते हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में गोपाल भार्गव को शामिल नहीं किए जाने के बाद, यह माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी देगी। सागर संभाग में भूपेंद्र सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सबसे करीबी व्यक्ति हैं। अगले मंत्रिमंडल विस्तार में उनको शामिल किया जाना तय है। ऐसी स्थिति में पार्टी का मानना है,कि विधानसभा अध्यक्ष के रूप में गोपाल भार्गव सबसे उपयुक्त व्यक्ति होंगे। मंत्रिमंडल में इस बार 10 बागियों को स्थान देना पड़ रहा है। जिसके कारण भाजपा के पूर्व मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल कर पाना मुश्किल हो रहा है। गोपाल भार्गव 8 बार के विधायक हैं। पक्ष और विपक्ष के साथ उनके बेहतर संबंध है। वर्तमान सरकार कम बहुमत की सरकार है। ऐसी स्थिति में विधानसभा अध्यक्ष के पद पर गोपाल भार्गव ही सबसे उपयुक्त साबित होंगे। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से गोपाल भार्गव नाराज होकर, अपने गृह नगर गढ़ाकोटा चले गए हैं। भार्गव के सूत्रों का यह भी कहना है कि वह किसी भी कीमत में विधानसभा अध्यक्ष नहीं बनना चाहते हैं। वहीं सागर संभाग और मध्य प्रदेश में भाजपा के जो समीकरण बने हुए हैं। उसमें भाजपा संगठन गोपाल भार्गव से उपयुक्त व्यक्ति विधानसभा अध्यक्ष के लिए और किसी को नहीं मान रहा है।
गोपाल भार्गव को काफी उम्मीद थी,कि मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें पहली सूची में शामिल किया जाएगा। लेकिन पार्टी ने उन्हें 2 ब्राह्मणों को शामिल नहीं किए जाने की बात कहकर अलग रखा है। इसके पीछे रणनीति बताई जा रही है कि उन्हें पार्टी जल्द से जल्द विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए मना लेगी।
कमल पटेल संगठन की पसंद
कृषि मंत्री कमल पटेल को संगठन की पसंद माना जा रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के कहने पर कमल पटेल को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को लग रहा था की पहली सूची में उनका मंत्री बनना तय है। लेकिन जब पांच मंत्रियों को शपथ दिलाई गई।उसमे जाति समीकरण का कोई औचित्य नहीं था।ऐसा भाजपा के नेता मान रहे हैं।इसको लेकर भाजपा नेताओं की राजनीतिक हलचलें बढ़ गई हैं।

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