ग्वालियर,गजराराजा मेडिकल कॉलेज के 50 रेजिडेंट जूनियर डॉक्टर्स ने इस्तीफे दे दिए हैं। करीब सप्ताह भर पहले ही जीआरएमसी ने 92 रेजिडेंट जूनियर डॉक्टर ने ज्वाइनिंग दी थी, लेकिन सप्ताह भर के अंदर ही इनमें से 50 डॉक्टरों ने नौकरी को अलविदा कह दिया है।
एक अप्रैल को हुए थे ज्वाइन
कोरोना से लडऩे के लिए गजराराजा मेडिकल कॉलेज ने 114 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी। तीन महीने की संविदा नियुक्ति के लिए भर्ती के दौरान करीब 92 डॉक्टर ज्वाइनिंग के लिए तैयार हुए थे, इन डॉक्टर्स ने एक अप्रैल को ज्वाइन किया। जीआरएमसी ने इन डॉक्टर्स को जयारोग्य अस्पताल, कमलाराजा महिला एवं बाल्य चिकित्सालय और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में तैनात किया था। लेकिन तैनाती के सप्ताभर के अंदर ही इन जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों में कोरोना का खौफ हो गया। धीरे-धीरे 50 रेजिडेंट डॉक्टरों ने इस्तीफे दे दिए और अपने घर रवाना हो गए।
25 डॉक्टर एस्मा के फेर में उलझे
50 साथी डॉक्टर के इस्तीफे मंजूर होने के बाद 8 अप्रैल की शाम भी 25 से 30 और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने इस्तीफे प्रभारी डीन डॉ.आयंगर को सौंपे, लेकिन दोपहर में एमपी में सरकार ने एस्मा (आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम) लागू कर दिया था, लिहाजा डॉक्टर्स के इस्तीफे नामंजूर हो गए और इनको कानूनी पेच के चलते तीन महीने तक सेवा देना होगी।
इस्तीफों से स्वास्थ सेवाओं मे कोई असर नहीं
गजराराजा मेडिकल कॉलेज के पीआरओ डॉ. केपी रंजन ने बताया कि 3 मार्च को कुल 114 जूनियर डॉक्टरों को तीन महीने के लिए संविदा नियुक्ति दी गई थी। इनमें 92 डॉक्टर्स ने ज्वाइन किया था,। आठ अप्रैल तक करीब 50 डॉक्टर्स ने डीन को इस्तीफे सौंपे। इनकी सेवा शर्तों के हिसाब से डीन ने इस्तीफे मंजूर किए थे, लेकिन आठ अप्रैल को एस्मा लगने के बाद करीब 25 से 30 इस्तीफे नामंजूद कर दिए गए हैं। हालांकि डॉक्टरों के नौकरी छोडऩे को लेकर जीआरएमसी किसी तरह से चिंतित नहीं है। डॉ. रंजन का कहना है कि उनके पास पर्याप्त स्टॉफ है, इन डॉक्टरों की भर्ती इमरजेंसी के लिहाज से की गई थी।