…ऐसे दिखाई सूझबूझ और जबलपुर से छंटने लगे कोरोना संकट के बादल

जबलपुर, एमपी में सबसे पहले कोरोना संक्रमित लोग जबलपुर शहर में सामने आए थे। जैसे ही 20 मार्च को शाम छह बजे संक्रमितों की रिपोर्ट सामने आई थी, उसके दो घंटे के भीतर रात आठ बजे पुलिस ने पूरा शहर लॉकडाउन कर दिया गया। जिसका परिणाम यह रहा कि जबलपुर कोरोना संकट से फिलहाल बाहर निकलने की स्थिति में है।
देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा पीएम मोदी ने 24 मार्च को की थी। जबकि जबलपुर शहर इससे तीन दिन पहले से ही लॉकडाउन कर दिया गया था। प्रशासन की सख्ती इतनी थी कि कोरोना पॉजीटिव की पहचान होने के बाद दूध, दवाई में भी छूट नहीं दी गई थी। पीएम मोदी के देशव्यापी लॉकडाउन के बाद दूध, दवाई में छूट दी गई। पुलिस की सख्ती का परिणाम यह रहा कि जबलपुर में अभी तक लॉकडाउन का किसी भी तरह से उल्लंघन नहीं हुआ है। कलेक्टर भरत यादव और एसपी अमित सिंह एक साथ दौरा कर रहे हैं। जबलपुर जिले में अफसरों ने जिस तरकीब से काम किया, उसकी देशभर में सराहना हो रही है।
जबलपुर में प्रशासन ने ऐसे किया काम
20 मार्च को जर्मनी और दुबई से लौटे सराफा कारोबारी मुकेश अग्रवाल और उनकी पत्नी सुनीता एवं बेटी पलक समेत चार लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव आई। चूंकि प्रदेश में यह पहला मामला था, इसलिए हड़कंप मच गया। कोरोना की शहर में एंट्री होते ही पुलिस सड़क पर उतरी और शहर के सराफा बाजार समेत उसके निवास स्थान के एरिया को सील कर दिया गया। रात 11 बजे तक यह कार्रवाई पूरी हो चुकी थी। रात को ही लॉकडाउन का फैसला ले लिया गया। अगले दिन सराफा कारोबारी के नौकर और उसके संपर्क में आए सभी लोगों की पहचान कर क्वारेंटाइन किया और सेंपल लिए गए। इसके बाद संपर्क में आए 4 लोग भी पॉजीटिव मिले। इनमें से तीन लोग ठीक हो चुके हैं। अभी तक अन्य कोई संदिग्ध भी नहीं मिला।
सीडीआर से निकाली ट्रेवल हिस्ट्री
कोरोना पॉजीटिव और उनके संपर्क में आए लोग आमतौर पर ट्रेवल हिस्ट्री छिपाते हैं। ऐसे में जबलपुर पुलिस ने सभी पॉजीटिव मरीजों की सीडीआर निकलवाई। इसके बाद उनके संपर्क में आए सभी लोगों को क्वारेंटाइन में भेजा। एक कोरोना पॉजीटिव रिपोर्ट आने से पहले मंडला घूमकर भी आया। सीडीआर रिपोर्ट के आधार पर जबलपुर पुलिस ने मंडला एसपी को एहतिहात बरतने की सूचना दी।
मेडिकल और डॉक्टरों को देनी होगी रिपोर्ट
ज्यादातर लोग सर्दी-खांसी और साधारण बुखार की दवा लोग बिना डॉक्टर को दिखाए लेते हैं। ऐसे में जबलपुर प्रशासन ने सभी मेडिकल और मेडिकल प्रेक्टिशनर को एक प्रोफार्मा दिया है। जिसमें दवा लेने वाली की हिस्ट्री नोट की जाएगी। बीमारी, दवा का पर्चा है या नहीं। उसका नाम, पता, मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से देना होगा। हर रोज रात आठ बजे मेडिकल संचालक और प्रेक्शिनरों को यह प्रोफार्मा पुलिस को देना हेागा। इसके आधार पर संदिग्ध की पहचान की जाएगी।
लाइन में वर्दी धोने से लेकर बेहतर खाने की व्यवस्था
जबलपुर एसपी अमित सिंह ने बताया कि 15 मार्च से ही पूरी तैयारी कर ली थी। पुलिस लाइन में जवानों को वर्दी धोने के लिए वॉशिंग मशीन एवं प्रेस की व्यवस्था है। साथ ही सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने का प्रबंध भी है। साथ ही दवा, काढ़ा भी पिलाया जा रहा है। सिंह ने बताया कि पुलिस लाइन में पुलिस दर्जियों ने 10 हजार मास्क बनाए हैं। जिनका उपयोग पुलिस कर रही है। आरक्षक से लेकर एसपी तक इन्हीं मास्क का उपयोग कर रहे हैं। हर जवान को पांच-पांच मास्क दिए हैं।

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