जबलपुर,लॉकडाउन के चलते शहर में होने वालीं 700 शादियों पर ग्रहण लग गया है। मार्च और अप्रैल की तीन सौ से अधिक शादियां टल गई हैं। जबकि, 400 से अधिक शादियों की तिथि पर असमंजस है। शादियों के लिए लोगों की खरीदारी अधूरी है तो कुछ शादियों के दूल्हा और दुल्हन ही दूसरे शहर या विदेश में हैं। पूरी तैयारी कर चुके कई परिवारों के रिश्तेदारों को भी उस लगन में पहुंच पाना सम्भव नहीं दिख रहा है। नव संवत्सर में 14 अप्रैल से शादियों के मुहूर्त हैं। जबकि, 14 अप्रैल तक 21 दिन के लॉक डाउन का समय निर्धारित है। लॉक डाउन इसके बाद भी बना रहेगा या नहीं, यदि छूट मिलती है तो किस हद तक, यह सब फिलहाल निश्चित नहीं है। इससे लोग आपसी सहमति से शादियां टाल रहे हैं। अप्रैल के दूसरे पखवाड़े की शादियां टाली जा रही हैं। वहीं सर्वाधिक लगन वाली अक्षय तृतीया 26 अप्रैल को लेकर भी लोगों में असमंजस है। इस तिथि में दिवा लगन सहित 200 से अधिक शादियां होनी थीं। अप्रैल में 16 दिन में 8 मुहुर्त हैं। जबकि, मई में 18 और जून में 13 लगन हैं।
आनन-फानन में तैयारियां आसान नहीं
लॉकडाउन समाप्त होने के बाद आनन-फानन में शादी की तैयारियां पूरी करना आसान काम नहीं होगा। व्यवस्था पटरी से उतर गई है। लोगों ने कपड़े, गहने, बर्तन, खाद्य सामग्री की खरीदारी नहीं की है। सम्भव है कि सरकार के आदेश के बावजूद बाजार की व्यवस्था पटरी पर आने में कुछ समय लगे। आयोजनों के लिए सभी प्रकार के परिवहन शुरू होने की आवश्यकता है।
दूल्हा अमेरिका में, टली प्रयागराज की बुकिंग
शहर के बैंड दल के संचालक सोनू बेन के अनुसार शहर एवं शहरी सीमा में करीब 80 बैंड दल हैं। औसतन एक बैंड दल ने 8 से 12 बुकिंग अप्रैल तक की लीं हैं। एक अनुमान के अनुसार 300 से अधिक शादियां टल चुकी हैं और 400 से अधिक शादियों पर असमंजस है। उनकी प्रयागराज की बुकिंग निरस्त हो गई। जबकि 14 जून की एक बुकिंग 75 हजार रुपए की है। दूल्हा अमेरिका में है, उनके आने का फिलहाल तय नहीं हो पा रहा है। इसलिए शादी के आयोजन को लेकर संशय है।
लॉकडाउन के बाद सम्भवत
नगर पंडित सभा के अध्यक्ष आचार्य वासुदेव शास्त्री ने बताया कि सभा में 350 आचार्य गण हैं। सभी लोगों से बातचीत के अनुसार शहर में अप्रैल तक 7-8 सौ शादियों की टलने की स्थिति है। पहली बार ऐसी भयावह स्थिति आई है। लॉक डाउन समाप्त होने के बाद हो सकता है कि प्रशासन कोई सुझाव दे। अगर लोगों की सुरक्षा में लॉकडाउन आगे बढ़ता है तो शासन प्रशासन को चाहिए कि दो परिवारों को ही शादी की रस्म करने की अनुमति दें। गरीब की बेटी के हाथ पीले हो जाएंगे तो रिश्तेदारों के कार्यक्रम बाद में भी सम्भव हो सकेंगे।