भोपाल, कोरोना की दहशत इतनी ज्यादा है कि इलाज करने वाला डाक्टर और स्टाफ के लोग तो डर ही रहे हैं, वहीं जिन परिवारों में कोरोना मरीज की मौत हो गई वे भी पास जाने में डर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत होने के बाद उनके शवों का किस तरह से दाह संस्कार करना है अथवा दफनाना है उसकी गाइडलाइन जारी की है, जिसमें यह भी कहा गया है कि हर कोरोना मरीज के शवों का पोस्टमार्टम जरूरी नहीं है, जब तक की इसे आवश्यक न समझा जाए।
संचालनालय स्वास्थ विभाग भोपाल ने सभी कलेक्टर और स्थानीय अधिकारियों को यह दिशा-निर्देश जारी किये हैं। केंद्र सरकार ने कोविड 19 को जन स्वास्थ आपदा घोषित कर दिया है, लिहाजा कोरोना वायरस की चपेट में आकर मरने वाले मरीजों के शवों का प्रबंधन और निपटान किस तरह किया जाये उसके दिशा-निर्देश भेजे गये है। शव प्रबंधन में लगे कर्मचारियों को एन-95 मास्क, चश्मा, पीपीई उपकरणों का इस्तेमाल करना होगा और प्लास्टिक शव बेग में रखकर उसे परिजनों को सौंपा जाये, जहां पर शव रखा गया है उसके बिस्तर रैलिंग और अन्य सामानों को भी सेनिटाइज किया जाये और जो शव मार्चूरी में रखे जाये वहां पर 4 डिग्री सेंटिग्रेट ही तापमान हो। शवों को ढोने वाली स्टेचर, एम्बुलेंस या अन्य वाहनों को भी पूरी तरह से सेनेटाइज किया जाये और सामान्य स्थिति में पोस्टमार्टम की आवश्यकता नहीं है, विशेष स्थिति में ही पोस्टमार्टम फोरेंसिक विशेषज्ञों और प्रशिक्षत स्टाफ द्वारा पीपीई किट का इस्तेमाल करते हुए किया जाये और पोस्टमार्टम के बाद आटोक्सी टेबल को भी पूरी तरह से विषाणु मुक्त किया जाये। श्मशान घाटों पर भी पर्याप्त सतकर्ता बरती जाये, परिजनों को भी शव के अंतिम दर्शन करते वक्त छूने, चुमने या नहलाने से रोका जाये और ऐसी धार्मिक परंपरा जिनमें शव को छूने की अनुमति दी जाये। शव के अंतिम संस्कार और दफनाने के बाद मैदानी कर्मियों और परिजनों द्वारा अच्छे से हाथों की सफाई कराई जाये। शव दाह के पश्चात राख का संग्रहण बिना किसी खतरे के किया जा सकता है और श्मशान घाट और कबिस्तान पर अधिक संख्या में लोगों को एकत्रित न होने दिया जाये और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करें।