भोपाल, आर्थिक तंगी से गुजर रही मप्र सरकार इस बार गाइडलाइन में निर्माण लागत बढ़ाकर घाटे की पूर्ति की जाएगी। माना जा रहा है कि दर में 25-30 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। गाइडलाइन केवल उन इलाकों में बढ़ाई जाएगी, जहां शासकीय दरों से अधिक में संपत्ति की खरीदी-बिक्री हो रही है। गाइडलाइन में वे नव विकसित इलाके और कॉलोनियां भी जोड़ी जाएंगी जो अब तक गाइडलाइन से अछूते हैं। शहर के आसपास विकसित हो रहे क्षेत्र में संपत्ति की खरीदी-बिक्री का सर्वे करके यह दरें तय की जाएंगी। इस बार समय पर 1 अप्रैल को ही नई गाइडलाइन आएगी। इसमें निर्माण लागत दर को बढ़ाया जाएगा।
अलग-अलग स्लैब
पंजीयन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस बार निर्माण दर बढ़ाने के लिए अलग-अलग स्लैब बनाए गए हैं। इसके तहत पहले स्लैब में भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर जैसे राजभोगी शहरों को रखा गया है। इनमें निर्माण की दरें समान रखी जाएंगी।
6500 करोड़ का लक्ष्य, मिलेंगे 6000 करोड़
पिछले साल शासन ने गाइडलाइन दर को सीधे-सीधे 20 फीसदी कम कर दिया था। इस साल विभाग से राजस्व का लक्ष्य 6500 करोड़ रुपये रखा गया है जो 6000 करोड़ रुपये तक ही पहुंचने का अनुमान है। घाटे की पूर्ति करने के लिए भोपाल सहित अन्य शहरों में जहां पुराने इलाकों में बढ़ी हुई दर पर सौदे हो रहे हैं, वहां भी गाइडलाइन बढ़ाई जाएगी। नए इलाकों को गाइडलाइन में शामिल किया जाएगा।