चेन्नई, फार्मास्युटिकल कंपनियों डाक्टरों पर यह आरोप लगाती रही हैं कि उन्हें अपने प्रॉडक्ट का प्रचार करने के लिए डॉक्टरों को रिश्वत देनी पड़ती है। इसका बोझ दवा खरीदारों पर पड़ता है। कई बार कंपनियां लाइसेंस फीस और टैक्स देनदारी का बोझ भी ग्राहकों पर डालती हैं। डॉक्टर से कोई अछूता नहीं रहता। ऐसे में यह सभी का अनुभव है कि कई बार अस्पताल और डॉक्टर बेवजह कई सारे टेस्ट करवाते हैं और सस्ती दवाओं की जगह महंगी दवाएं लिखते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने मद्रास हाईकोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 8667 मेडिकल कंपनियों ने गिफ्ट देनदारी को लेकर टैक्स में छूट की मांग की है।
इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा यह आश्चर्यजनक है कि दवा कंपनियां सेल्स प्रमोशन और लाइसेंस एंड टैक्स में हुए खर्च पर इनकम टैक्स में डिडक्शन की मांग कर रही हैं। कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि डॉक्टरों को दिया जाने वाला गिफ्ट उन्हें रिश्वत देने जैसा है। कानून में रिश्वत देने पर मनाही है, इसके बावजूद ये कंपनियां दवाई के प्रचार के लिए डॉक्टरों को ट्रैवल सुविधा, हॉस्पिटैलिटी, कैश और अन्य तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाती हैं। कई बार दवाओं के दाम भी नियम के खिलाफ बढ़ा दिए जाते हैं। कोर्ट ने इस तरह के प्रैक्टिस रोकने का निर्देश जारी किया है।