स्कूलों में गुणवत्ता सुधार के लिए नया फार्मूला लागू होने से कई स्कूलों में डलेगें ताले

भोपाल, प्रदेश की कमलनाथ सरकार सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता सुधार के लिए नया फार्मला लागू करने जा रही है। इसके तहत एक किलोमीटर के दायरे में एक प्राथमिक और तीन किलोमीटर के दायरे में एक माध्यमिक स्कूल का ही संचालने किया जाएगा। अगर इस दायरे में एक से अधिक स्कूल हैं तो उन्हें दूसरे में मर्ज कर दिया जाएगा। विभाग का मत है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि अभी प्रदेश में 80890 प्राथमिक और 30341 माध्यमिक सरकारी स्कूल हैं। इसके लिए विभाग द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से इनकी मैपिंग करवाई जा रही है। इसके तहत अब तक 35 हजार स्कूलों को चिन्हित किया जा चुका है। विभाग का मानना है कि इस फॉर्मेले के लागू होने के बाद स्कलों में शिक्षकों की कमी की समस्या भी नही रहेगी।
वन और आदिवासी ग्रामों को रखा गया मुक्त
सरकार ने इस फॉर्मूला से आदिवासी क्षेत्रों और वन ग्रामों में स्थित स्कूलों को मुकत रखने का फैसला किया है। हालांकि इन क्षेत्रों के स्कूलों की मैपिंग की जाएगी। इसमें आदिम जाति कल्याण विभाग ने ग्रामीणें की मांग, पहुंच और सुविधा के अनुसार एकीकृत स्कूल का फॉर्मूला लागू करने की तैयारी की है।
रिक्त भवनों में शुरु होगे सरकारी कार्यालय
स्कूलों को मर्ज करने के बाद जो स्कूल भवन खाली होंगे उनमें सरकारी कार्यालय लगाए जाएंगे। कुछ भवनों का शैक्षणिक गतिविधियों तथा स्टोर के रूप में उपयोग किया जाएगा।
जुलाई से बंद होगें 15 हजार स्कूल
एक शाला- एक परिसर फॉर्मूले के तहत प्रदेश में 15 हजार स्कूल चिन्हित किए गए हैं। इनको बंद करने की भी प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। इन्हें जुलाई तक बंद करने की तैयारी है। इसके लिए शिक्षक पालक संघ समिति के भंग होने का इंतजार किया जा रहा है।
कम नामांकन वाले स्कूलों पर भी डलेगें ताले
कम नामांकन वाले स्कूल भी बंद करने की तैयारी है। इसके लिए प्राथमिक स्कूल के लिए 25 और माध्यमिक के लिए 30 छात्र संख्या रखी गई है। इससे कम प्रवेश होने पर स्कूल बंद कर दिया जाएगा। ऐसे स्कूलों में प्रवेशित छात्रों को दूसरे स्कूलों में भेजा जाएगा।
तीन वर्ष तक होल्ड रहेगे मर्ज स्कूल
बंद किए जाने वाले स्कूलों को तीन साल तक होल्ड पर रखा जाएगा। इस दौरान मर्ज स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती है तो इनका दोबारा चालू कर दिया जाएगा। इन स्कूलों में पदों की पूर्ति पूर्व के अनुसार ही तीन साल तक रहेगी।

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