‘गट फीलिंग’ हमें खतरों से करती है सावधान

वॉशिंगटन,आम बोलचाल की भाषा में ‘अंदर की आवाज’ को अंग्रेजी में ‘गट फीलिंग’ कहा जाता है, जिसे कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। एक वैज्ञानिक अध्ययन में भी यह बात साबित हो चुकी है। यह स्वाभाविक एहसास होते हैं, जो अधिकांश मामलों में सही होते हैं। इनका हमारे मूड और फैसलों पर काफी गहरा प्रभाव होता है। नए अध्ययन में साबित हुआ है कि यह संकेत हमें खतरनाक परिस्थितियों से बचाते हैं। फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए शोध में विशेषज्ञों ने बताया कि गट फीलिंग हमारे शरीर के बचाव तंत्र का हिस्सा है। यह किसी भी परिस्थिति में हमें धैर्य रखने और उसका मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित करती है। न्यूरोसाइंटिस्ट और प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर लिंडा रिनामन का कहना है कि गैस्ट्रोइनटेस्टाइनल ट्रैक्ट हमारे शरीर की सतह की त्वचा से 100 गुना बड़ी है। यह मस्तिष्क को शरीर के किसी और अंग के मुकाबले अधिक और तेजी से संदेश भेजती है। पेट और मस्तिष्क के बीच के इस विचित्र संबंध को अभी तक तकनीकी तौर पर समझा ही नहीं गया है। शरीर के इन दो बेहद महत्वपूर्ण अंगों के बीच वेगस नस के जरिए संपर्क होता है। यह शरीर से मस्तिष्क को और मस्तिष्क से शरीर को ऐसे संदेश पहुंचाती है, जिन्हें गट फीलिंग कहा जाता है। हालांकि विशेषज्ञ अभी यह नहीं बता पाए हैं कि यह आभास व्यक्ति के फैसलों को कैसे प्रभावित करते हैं। डॉ. रिनामन का कहना है कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट से मिलने वाले संदेश हमें गलतियां करने से रोकते हैं। यह व्यक्ति को खतरे से बचाते हैं।

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