यूपी में कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाएं-ओम बिड़ला

लखनऊ, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि आबादी के लिहाज से देश ही दुनिया के इस सबसे बड़े सूबे में कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। यहां के गंगा के मैदानी क्षेत्रों की भूमि सर्वाधिक उर्वर है। प्रचुर मात्रा में पानी, मानव संसाधन और वैविध्यपूर्ण जलवायु इन संभावनाओं को और बढ़ा देती है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारा लक्ष्य सभी ग्राम पंचायतों में कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) खोलने का है। उन्होंने कहा कि इनके जरिए कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव आएगा। शुक्रवार को यहां लोकभवन के सभागार में आयोजित प्रगतिशील किसानों के सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि प्रचुर मात्रा में पानी, मानव संसाधन और वैविध्यपूर्ण जलवायु इन संभावनाओं को और बढ़ा देती है। इन सारी चीजों से प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदली जा सकती है। जरूरत एक काबिल नेतृत्व की थी। योगी जैसा काबिल नेतृत्व मिला तो यह बदल भी गयी। बदलाव का यह दौर जारी रहे इसके लिए परंपरागत खेती की बजाय कृषि विविधिकरण को प्रोत्साहित करना होगा। अगर अपने उत्पादों को सरकार बाजार की मांग के अनुसार प्रसंस्कृत करा ले गयी तो पूरी दुनिया उप्र के कृषि उत्पादों की बाजार होगी।
वहीं अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि हमारा लक्ष्य सभी ग्राम पंचायतों में कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) खोलने का है। पहले चरण में प्रदेश के सभी ब्लाकों, दूसरे चरण में न्यायपंचायतों और तीसरे चरण में सभी ग्राम पंचायतों में एफओ खोले जाएंगे। अब तक 336 एफपीओ खोले जा चुके हैं। इनके जरिए कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव आएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उप्र में पहले भी सब कुछ था, पर पिछली सरकारों की उदासीनता के कारण किसान बदहाल थे। किसान खुदकुशी कर रहे थे। खेती से किनारा कर रहे थे। दो साल में हम काफी हद तक बदलाव लाने में सफल रहे। आते ही हमने लघु-सीमांत किसानों के एक लाख रुपये तक के कर्जे माफ कर दिये। बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत आलू किसानों को राहत दी। रिकार्ड मात्रा में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान, गेहूं की खरीद कर 72 घंटे के भीतर किसानों के खाते में पैसा भेजा गया। किसान मानधन योजना के तहत अब तक करीब 1.83 करोड़ किसानों के खाते में 11594.18 करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों में गन्ना किसानों का भुगतान रुका था। मिलें बंद हो रहीं थीं और बेची जा रही थीं। हमने रिकॉर्ड 82 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया। नयी मिलें खोली। आज 116 की बजाय 121 मिलें चल रही हैं। पुरानी मिलों का आधुनिकीकरण और क्षमता विस्तार हो रहा है। मिल मालिकों को साफ निर्देश है कि जब तक किसान के खेत में गन्ना है तब मिलें चलनी चाहिए। यही वजह है कि पिछले पेराई सत्र में मध्य जून तक मिलें चलीं। किसानों की आय बढ़े इसके लिए जोर न्यूनतम लागत में अधिकतम उत्पादन पर है। इसीलिए सिंचाई की दक्ष विधाओं ड्रिप और स्प्रिंकलर को अनुदान पर मिलने वाली बोरिंग योजनाओं के साथ अनिवार्य किया जा रहा है। समय पर कृषि निवेश उपलब्ध कराया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्रों और कृषि विश्वविद्यालयों के जरिये किसानों को खेती-बारी के अद्यतन तौर-तरीके से अवगत कराया जा रहा है। इस सबके नतीजे सामने हैं।

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