(डॉ. अरविन्द प्रेमचंद जैन द्वारा ) भोपाल,स्वास्थ्य की परिभाषा आयुर्वेद में बहुत ही अद्वितीय बताई गई हैं – सम दोषः समाग्नि सम धातु मलःक्रियाः .प्रसन्न आत्मेन्द्रिय मनः ,स्वस्थ्य इत्यभिदीयते .जिस व्यक्ति के दोष यानी वाट ,पित्त कफ समानवस्था में हो ,चार प्रकार और १३ प्रकार की अग्नियां समान हो ,सात प्रकार की धातुएं सम हो और १८ प्रकार के मलों की क्रियायें ठीक हो इसके साथ जिस व्यक्ति की शरीर आत्मा ,मन और इन्द्रियां प्रसन्न हो उसे स्वस्थ्य कहते हैं .
आयुर्वेद में आहार ,स्वप्न और ब्रह्चर्य ये तीन उपस्तम्भ बताये गए हैं .इन तीनो उपस्तम्भों का युक्ति पूर्वक सेवन करने से यह शरीर स्थिर होकर ,जब तक संस्कारित रहता हैं तब तक बल ,वर्ण ,उपचय से उपाचित होकरउचित रूप में रहता हैं .अहित वस्तुओं का सेवन न करना ही संस्कार हैं .
अगर सही से जिंदगी का प्रबंधन करें तो स्वस्थ्य रहना बहुत मुश्किल नहीं है। खानपान में संतुलन रखें और सोच व बर्ताव को बेहतर बनाएं। अच्छी स्वास्थ्य के लिए खुद को किन चीजों से जोड़ें और किन्हें माइनस करें, पूरी जानकारी हैं —
हर आदमी की जिंदगी में सेहत और खुशी की अहमियत होती है। सेहत और खुशी एक-दूसरे से जुड़े हैं। इन्हें साधने के लिए खानपान से जुड़ी छोटी-छोटी बातों के साथ-साथ संगीत और नींद की अहमियत को जानना और उसके प्रति लगातार जागरूक बने रहना भी जरूरी है। ऐसा करने के लिए हमें अपनी दिनचर्या में बहुत बड़े उलटफेर की जरूरत नहीं है। बस इन पर थोड़ा ध्यान करने की जरूरत है और केंद्रित करना बहुत मुश्किल काम नहीं है। एक बार जब इसमें हम कामयाब हो जाते हैं तो हम जीवन शैली को भी अच्छी तरह से व्यवस्थित कर लेते हैं और बिना दवाई या बहुत कम दवाई के भी कई छोटी-बड़ी बीमारियों से बचे रह सकते हैं।
का फॉर्म्युला
सोच विचार
व्यवहार
आहार
इन तीनों के प्रति हमारा लगातार जागरूक रहना जरूरी है। इनमें बेहतर सामंजस्य और संतुलन से न सिर्फ हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं बल्कि हमारे रिश्ते भी बेहतर बने रहते हैं। इससे हम ज्यादा खुश रहते हैं और घर-बाहर हर जगह बेहतर परफॉर्म कर सकते हैं। ज्यादातर लोग इनमें से सिर्फ एक या दो को साध पाते हैं जिससे उन्हें वह फायदा नहीं मिलता, जितना मिलना चाहिए।
सोच विचार
सकारात्मक सोच के साथ सुबह की शुरुआत हो तो दिन अच्छा गुजरता है। हकीकत यह है कि हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही बनने लगते हैं। हर समय इस सोच से काम करें कि अच्छे तरीके से कोई भी काम करेंगे तो उसका नतीजा भी अच्छा ही होगा। सुबह का पहला घंटा पूरे दिन की दिशा तय करता है।
दिन की शुरुआत करें ऐसे
सबसे पहले उठते ही बिस्तर पर आराम से बैठें और आंख बंदकर एक मिनट तक गहरी सांस लें। इस दौरान अपने माता-पिता, टीचर, ईश्वर आदि को याद कर उनके प्रति आभार व्यक्त करें। उन्हें मन-ही-मन धन्यवाद दें। अगर हम तीन लिविंग गॉड अर्थात माता-पिता, शिक्षक और सूर्यदेव के प्रति आस्था, विश्वास, समर्पण और सम्मान रखें तो कामयाबी और खुशी, दोनों हासिल होंगी।
कंप्यूटर की तरह लाइफ
कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग का बेसिक फंडा है: गार्बेज इन, गार्बेज आउट यानी कचरा अंदर डालेंगे तो कचरा ही बाहर आएगा। कहने का मतलब: जैसा अंदर डालेंगे, वैसा ही बाहर आएगा। कमोबेश यही सिद्धांत इंसान के दिमागी कंप्यूटर पर भी लागू होता है। बुद्धिमान और संयमित लोग ऐसे कचरे को अंदर आने से रोकने के लिए दिमाग के दरवाजे पर एक सशक्त स्कैनर लगा कर रखते हैं। इससे कचरा बाहर ही रुक जाता है।
रहें पॉजिटिव जोन में
इस पर गौर करना जरूरी है कि कौन-से विचार हैं जो हमारे दिमाग को बिना मतलब के उलझाते और परेशान करते रहते हैं। उनकी पहचान कर लेने के बाद उनसे मुक्ति के लिए जरूरी है कि दिनभर अच्छे कामों में व्यस्त रहें। बीच में अगर कोई नेगेटिव विचार या व्यक्ति आ जाए तो उससे जल्द छुटकारा पाकर पॉजिटिव जोन में लौटें। ऐसा मत सोचें कि यह नहीं हो पाएगा। नियमित अभ्यास से यह सब करना आसान होता जाएगा। रात में भी सोने से पहले सकारात्मक सोच-विचार में थोड़ा वक्त गुजारें, उसका चिंतन-मनन करें। कोई मोटिवेशनल किताब पढ़ना भी अच्छा रहेगा। चाहे किताबी ज्ञान की बात हो या प्रैक्टिकल की, अच्छे स्रोतों की संख्या जिंदगी में बढ़ते रहने से हर जगह प्रदर्शन बेहतर होता जाएगा।
व्यवहार
हमें बचपन से यह बताया और सिखाया जाता है कि न सिर्फ अपने से बड़ों से बल्कि संसार में हर शख्स के साथ पूरी मानवीय संवेदना से पेश आना चाहिए। अपनी बात और बर्ताव से किसी को भी आहत करने की कोशिश न करें।
– खासकर बॉस प्रवृत्ति वाले लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सत्ता या पद आज है, क्या पता कल रहे या न रहे। लोगों के साथ आपके द्वारा की जाने वाली बदसलूकी की बदबू हमेशा आपके आसपास बनी रहेगी। यह उन्हें जिंदगीभर कमजोर करने के साथ-साथ परेशान भी करती रहेगी।
– किसी के साथ भी गलत या अमर्यादित व्यवहार करने से हम खुद सबसे पहले नेगेटिव एनर्जी से भर जाते हैं।
– किसी को नीचा दिखाना बड़े होने की पहचान नहीं है। यह आपके व्यक्तित्व में बड़ी कमी को दिखाता है। अमूमन खुद को सामने वाले की जगह पर रखकर देखेंगे तो आप इससे परहेज करेंगे।
– हर आदमी को स्वाभिमान प्यारा होता है। इंसान अपनी गरिमा और मर्यादा को कायम रखना चाहता है। हमें इसका सम्मान करना चाहिए।
– जैसा व्यवहार दूसरों से चाहते हैं, हमें वैसा ही व्यवहार उनसे करना चाहिए।
– नियमित रूप से खुद को तलाशें और तराशें।
आहार
फूड बेहद अहम होता है। आखिर जो कुछ भी हमारे मुंह से पेट तक जाएगा, उसका फायदा या नुकसान हमें ही उठाना पड़ेगा। उसका अवशेष भी हमारे शरीर से ही निकलेगा। अगर हम पौष्टिक आहार लेते हैं तो हमारे शरीर को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटामिन, मिनरल आदि पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए जरूरी हैं।
– कहा जाता है कि इंसान को जीने के लिए खाना चाहिए, न कि खाने के लिए जीना चाहिए।
– एक सामान्य इंसान को सुबह का नाश्ता सबसे पौष्टिक और ज्यादा मात्रा में लेना चाहिए। दोपहर का खाना नाश्ते की तुलना में हल्का और रात का खाना तो बिलकुल ही सादा और हल्का होना चाहिए।
पानी: कब, कितना
हमारे शरीर में करीब 60 फीसदी पानी है। शरीर में पानी की कमी हो जाए तो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने लगती हैं। लिहाजा हमें हमेशा पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। वैसे पर्याप्त पानी पीना ही नहीं, सही तरीके से पानी पीना भी जरूरी है।
– ज्यादातर लोग पानी पीते नहीं, गटकते हैं जैसे कि उन्हें पानी पीने तक की फुर्सत नहीं है।
– सही तरीका है: धीरे-धीरे पानी पीना और वह भी बैठकर आराम से। खड़े-खड़े बोतल से मुंह में पानी उड़ेलना और उसे फटाफट गटकना सही नहीं है।
– हमें रोजाना 2-3 लीटर पानी पीना चाहिए। इतना ही नहीं, हम कब-कब और कितना पानी पीते हैं, इसका भी हमारी सेहत से गहरा ताल्लुक है।
– रोज सुबह नींद खुलने के बाद कम से कम 1 गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिए। ज्यादा फायदे के लिए गुनगुने पानी में आधा नीबू निचोड़ लें।
– खाने के फौरन पहले, खाने के बीच में और खाने के फौरन बाद पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है। बेहतर पाचन के लिए खाना खाने के कम-से-कम 30 मिनट पहले और खाना खाने के 45 मिनट बाद पानी पीने की सलाह दी जाती है।
– सेहत के लिहाज से गिलास में मुंह लगाकर आराम से चाय या कॉफी की तरह सिप करते हुए पानी पीना और यह महसूस करना कि इससे हमारा शरीर हाइड्रेटेड हो रहा है, सबसे अच्छा माना गया है।
– शरीर जितना हाइड्रेटेड रहेगा, हम उतना ही स्वस्थ रहेंगे। खासकर रात में सोने से पहले थोड़ा पानी जरूर पीना चाहिए, इससे हार्ट प्रॉब्लम और ब्रेन स्ट्रोक की आशंका कम हो जाती है। सच तो यह है कि पानी के माध्यम से ही हमारे शरीर से हानिकारक पदार्थ बाहर निकलता है। ऐसे में कम पानी शरीर के लिए परेशानी ही बढ़ाता है।
– आप खुद भी महसूस कर सकते हैं कि मानसिक तनाव हो तो पानी के दो-चार घूंट भी सुकून का अहसास करवाते हैं। – दूसरों को ‘पानी पिलाने’ के मुहावरे को सही साबित करने के बजाय खुद पानी पीने की कला में पारंगत होना हर दृष्टि से बेहतर हेल्थ की गारंटी है। जब तक खुद पानी पीने का सही तरीका नहीं अपनाएंगे, समस्याएं बनी रहेंगी।