बिपिन रावत को बनाया गया देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ

नई दिल्ली, सेनाध्यक्ष बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया गया है। केंद्र सरकार ने रविवार को ही सीडीएस पोस्ट के लिए उम्र की सीमा बढ़ाई थी। बता दें कि रावत 31 दिसंबर को भारतीय सेनाध्यक्ष पद से रिटायर हो रहे हैं। रावत की जगह मनोज मुकुंद नरवणे नए आर्मी चीफ बनाया गया है। बता दें कि सीडीएस का पद ‘फोर स्टार’ जनरल के समकक्ष होगा और सभी सेनाओं के प्रमुखों में सबसे ऊपर होगा।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय ने सेना नियमों, 1954 में कार्यकाल और सेवा के नियमों में संशोधन किया है। रक्षा मंत्रालय ने 28 दिसंबर की अपनी अधिसूचना में कहा है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) या ट्राई-सर्विसेज प्रमुख 65 साल की आयु तक सेवा दे सकते है। इसमें कहा गया,बशर्ते की केंद्र सरकार अगर जरूरी समझे,तब जनहित में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की सेवा को विस्तार दे सकती है। जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख पद से 31 दिसंबर 2019 को सेवानिवृत्त होने वाले है। मौजूदा नियमों के अनुसार, तीन सेवाओं के प्रमुख 62 साल की आयु तक या तीन साल तक सेवा दे सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 दिसंबर को सीडीएस पोस्ट और इसके चार्टर एवं ड्यूटीज को मंजूरी दे दी थी। खास बात यह है कि सीडीएस, पद छोड़ने के बाद किसी भी सरकारी पद को ग्रहण करने के पात्र नहीं होने वाले है।सीडीएस थलसेना, वायुसेना और नौसेना के एकीकृत सैन्य सलाहकार होगा।1999 में गठित की गई करगिल सुरक्षा समिति ने इस संबंध में सुझाव दिया था। सुझाव में बताया गया कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति का मकसद भारत के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना है।बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को ऐतिहासिक सैन्य सुधार की घोषणा करते हुए कहा था कि भारत की तीनों सेना के लिए एक प्रमुख होगा, जिस सीडीएस कहा जाएगा। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया। जो सीडीएस की नियुक्ति के तौर-तरीकों और उसकी जिम्मेदारियों को अंतिम रूप देने का काम किया।

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