भोपाल, हनी ट्रैप मामले में इंदौर पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट सवालों के घेरे में आ गई है। कहा जा रहा है कि इस मामले में पुलिस को सीडी और आडियो रिकार्डिंग में दिखे लोगोंं से पुलिस ने पूछताछ करना भी जरूरी नहीं समझा। सिर्फ आरोपी बनाई गई महिलाओं और उनसे जुड़े कुछ लोगों से पूछताछ कर चालान पेश कर दिया गया। नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह के ही बयान दर्ज किए गए हैं।
वीडियो में नजर आ रहे चेहरों को छोड़ा
इतना गंभीर मामला होने के बावजूद कोर्ट में पेश चालान में प्रथम दृष्टया कई खामियां नजर आ रही हैं। जिन महिलाओं के अंतरंग वीडियो सामने आए हैं, पुलिस ने उन्हें आरोपी ही नहीं बनाया। इतना ही नहीं, जिन बड़े लोगों के वीडियो बनाए गए थे, पूरे चालान में उनका कहीं उल्लेख नहीं है। पुलिस ने उनके बयान तक नहीं लिए। गवाहों की सूची में भी कुछ ऐसे लोग शामिल हैं, जो वर्षों से अलग-अलग प्रकरणों में पुलिस की तरफ से गवाही दे रहे हैं और पुलिस के स्थायी गवाह हैं। बड़ी ग्वालटोली निवासी जिस अर्जुन वर्मा को पुलिस ने हनीट्रैप मामले में गवाह बनाया है, वह इसके पहले भी 8-10 मामले में पुलिस की तरफ से गवाही दे चुका है।
ब्यूटी पार्लर में तैयार किया जाता था लड़कियों को
हनीट्रैप मामले की आरोपी सरगना श्वेता विजय जैन अधिकारियों और राजनेताओं के सिर्फ अश्लील वीडियो ही रिकॉर्ड नहीं करती थी अपितु वह इन लोगों के साथ हुई मुलाकातों की रिकॉर्डिंग भी सहेजती थी। उसे अधिकारियों से मिलने जाना होता था तो वह खुफिया कैमरा लगा जैकेट पहनकर जाती थी, जिससे अधिकारियों और नेताओं से हो रही बातचीत (डील) का वीडियो बना सके। लड़की को किसी बड़े आदमी के पास भेजने से पहले उसे पार्लर ले जाकर तैयार भी कराया जाता था। पार्लर संचालिका से कहा जाता था कि लड़के वाले देखने आ रहे हैं, इसलिए अच्छे से तैयार करना। यह बात हनीट्रैप मामले में जिला कोर्ट में पेश चालान में सामने आई है।
चार्जशीट में चौंकाने वाले खुलासे
चालान में पेश धारा 27 के एक मेमो में आरोपी आरती दयाल खुद स्वीकार कर रही है कि उसने, उसकी साथी श्वेता पति विजय, बरखा सोनी, श्वेता स्वप्निल जैन ने कई गरीब लड़कियों को लालच देकर शासकीय श्वेता के पास एक जैकेट (टॉप) भी था, जिसमें कैमरा लगा होता था। इस जैकेट को श्वेता अपनी अलमारी में रखती थी। पुलिस की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि श्वेता जैन मोबाइल में खास कैमरा भी रखती थी। यह कैमरा मोबाइल के कवर में इस तरह से लगा होता था कि पहली बार में नजर नहीं आता था।