भोपाल, प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने दस साल बाद फिर से 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षा लेने का निर्णय किया है। इसमें बच्चों को फेल करने के निर्देश भी दिए गए हैं। हालांकि आरटीई में इसे बोर्ड परीक्षा न कहकर वार्षिक मूल्यांकन का नाम दिया गया है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) में संशोधन के बाद यह निर्णय लिया गया है। इस परीक्षा में प्रदेश के निजी स्कूल शामिल नहीं होंगे। निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की न तो बोर्ड पैटर्न पर परीक्षा ली जाएगी और न ही उनकी कॉपियां विभाग के अधिकारी जाचेंगे। निजी स्कूलों की वार्षिक परीक्षा स्कूली स्तर पर आयोजित की जाएगी। निजी स्कूलों में पहले की तरह ही वार्षिक परीक्षा होगी और वहां पर बच्चों को फेल भी नहीं किया जाएगा, जबकि सरकारी स्कूलों में 5वीं व 8वीं की परीक्षा में फेल होने पर दोबारा परीक्षा देनी होगी और उसमें भी फेल होने पर कक्षोन्नति नहीं दी जाएगी। विभाग भले ही सरकारी स्कूलों में 5वीं व 8वीं की वार्षिक परीक्षा को बोर्ड परीक्षा ना मानें, लेकिन बोर्ड स्तर पर ही दूसरे स्कूलों में परीक्षा केंद्र बनेंगे।
परीक्षा केंद्रों पर शिक्षक भी दूसरे स्कूल के होंगे। साथ ही प्रश्नपत्र भी राज्य शिक्षा केंद्र से तैयार होकर आएगा। वहीं, कॉपियों के मूल्यांकन की जिम्मेदारी भी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा गठित मूल्यांकनकर्ताओं की टीम करेगी। विभाग का कहना है कि निजी स्कूलों में अभी बोर्ड स्तर पर परीक्षा नहीं होगी। इस साल सरकारी स्कूलों के बच्चों के शिक्षण स्तर को सुधारने के लिए ऐसा किया जा रहा है। अगले सत्र से निजी स्कूलों को भी परीक्षा में शामिल किया जाएगा। इस बार स्कूली स्तर पर परीक्षा ली जाएगी और स्कूल के शिक्षक ही प्रश्नपत्र तैयार कराकर कॉपियों को चेक भी करेंगे। इस बारे में राज्य शिक्षा केन्द्र सहायक संचालक परीक्षा केपीएस तोमर का कहना है कि सरकारी स्कूलों में पाचंवीं व आठवीं की परीक्षा बोर्ड पैटर्न पर होगी। शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए यह परीक्षा ली जा रही है। निजी स्कूलों को आरटीई में हुए संशोधन का पालन करते हुए कमजोर बच्चों को फेल करना होगा।
एमपी में 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षाएं फिर से शुरू होंगी, बच्चों को परीक्षा पास करना भी हुआ जरुरी
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