नई दिल्ली, अक्सर बड़े-बुजुर्गों कहते है कि खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए। इसके बारें में आयुर्वेद ने बताया कि जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं तो पेट की दीवारों पर जरूरत से ज्यादा प्रेशर पड़ता है क्योंकि जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं तो पानी भोजन-नलिका से सीधे पेट में पहुंच जाता है जिससे वह पेट के आसपास के हिस्से को नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि खड़े होकर पानी पीने के दौरान पानी के पोषक तत्व शरीर द्वारा अब्सॉर्ब नहीं हो पाते और इन पोषक तत्वों को शरीर अस्वीकार कर देता है। बता दें कि ऐसा अगर बार-बार होता है तो इससे पाचन तंत्र की फंक्शनिंग प्रभावित होती है। साथ ही जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं तब पानी बिना किडनी से छने सीधे बह जाता है। इससे किडनी और मूत्राशय में गंदगी रह जाती है, जिससे मूत्रमार्ग में संक्रमण या फिर किडनी की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। पानी पीने का तरीका और शरीर के पॉस्चर यानी मुद्रा का आपस में गहरा संबंध है। बताया जाता है कि खड़े होकर पानी पीने के दौरान उत्पन्न होने वाले हाई प्रेशर का असर शरीर के संपूर्ण बायलॉजिकल सिस्टम पर पड़ता है जिससे जोड़ों में दर्द की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा खड़े होकर पानी पीने से शरीर के जोड़ों में मौजूद तरल पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे आर्थराइटिस की समस्या जन्म लेती है। साथ ही खड़े होकर पानी पीने से फेफड़ों को भी नुकसान होता है। इसलिये पानी हमेशा बैठकर पीना चाहिए।