HC ने रिटायर्ड पीसीसीएफ की अवमानना याचिका पर पीएस फॉरेस्ट को किया तलब

जबलपुर, मप्र उच्च न्यायालय ने रिटायर्ड प्रमुख मुख्य कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट को पूर्वादेश के पालन में चालीस हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन व 2001 से एरियर्स का भुगतान न किए जाने के मामले पर सख्ती दिखाई। जस्टिस संजय यादव व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने वन विभाग के प्रमुख सचिव केके सिंह से सख्त लहजे में पूछा कि दो-दो साल कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं होता? युगलपीठ ने उन्हें 22 नवंबर को कोर्ट में उपस्थित होकर इसका जवाब देने का निर्देश दिया।
ये है मामला
भोपाल निवासी आरडी शर्मा की ओर से यह अवमानना याचिका दायर कर कहा गया कि वे 1964 में आईएफएस परीक्षा के जरिए वन विभाग में नियुक्त हुए। उन्हें मप्र कैडर दिया गया। यहां 1 जुलाई 1997 को उन्हें प्रमुख मुख्य वन संरक्षक बनाया गया। 31 दिसंबर 2001 को वे रिटायर हुए। उन्हें कम से कम वेतन का पचास फीसदी पेंशन मिलनी थी। लेकिन नहीं मिली। कहा गया कि 2008 से पूर्व रिटायर हुए अधिकारियों को यह लाभ नहीं दिया जा सकता। इसे याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने 28 अप्रैल 2017 को उनकी याचिका का निराकरण कर सरकार को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता को कम से कम 40 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जाए। रिटायरमेंट से याचिका के निराकरण तक इस राशि के हिसाब से पेंशन का एरियर्स 8 फीसदी ब्याज के साथ चुकाया जाए।
जमानती वारंट पर भी नहीं आए
वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन सिंह व अधिवक्ता अर्पण जे पवार ने तर्क दिया कि इस आदेश का पालन अब तक नहीं हुआ। इस संबंध में दायर यह अवमानना याचिका भी बीते साल से लंबित है। लेकिन न तो याचिकाकर्ता को आदेशानुसार भुगतान किया गया और ना ही अवमानना याचिका का जवाब दिया गया। यहां तक कि अधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट भी जारी किए गएए लेकिन वे हाजिर नहीं हुए। इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव केके सिंह को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होने को कहा।

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