मुंबई, महाराष्ट्र में आज राज्यपाल की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही महाराष्ट्र में सियासी घमासान बढ़ गया है। शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस बीच, कांग्रेस और एनसीपी ने स्पष्ट कर दिया है कि अब तक सरकार बनाने पर चर्चा नहीं की है। बता दें कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश की थी। केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है।
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री के विदेश दौरे से पहले हुई कैबिनेट बैठक में महाराष्ट्र के मुद्दे पर चर्चा हुई और राज्यपाल की सिफारिश को मान लिया गया। राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी। अनुच्छेद 356 को आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है। मालूम हो कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के कार्यालय द्वारा ट्विटर पर जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि उन्हें विश्वास है कि संविधान के अनुरूप सरकार का गठन नहीं किया जा सकता है (और इसलिए) आज संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधानों को लागू करने की रिपोर्ट भेजी है। उल्लेखनीय है कि पिछले दो दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति में हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा था। पहले भाजपा, फिर शिवसेना और एनसीपी को राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए न्योता दिया। हालांकि, कोई भी दल समय सीमा में सरकार बनाने में सफल नहीं हो सका। इसके बाद राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के सिफारिश केंद्र से की थी।
एनसीपी-कांग्रेस ने की आलोचना
एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बातचीत करने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े, अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल मुंबई पहुंचे। चर्चा के बाद दोनों पार्टियों के नेताओं ने पत्रकार वार्ता कर राज्यपाल के राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले की आलोचना की। पवार ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया है। फिलहाल एनसीपी और कांग्रेस सरकार बनाने को लेकर बातचीत करेंगे। कांग्रेस नेता पटेल ने स्पष्ट कहा कि सरकार बनाने को लेकर अभी एनसीपी से चर्चा नहीं हुई है। जब चर्चा होगी उसके बाद शिवसेना से बात की जाएगी।
शिवसेना ने कहा- हमारी चर्चा हो रही है
इस बीच, शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने होटल में ठहरे अपने सभी विधायकों से चर्चा की। ठाकरे ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने से हमें चिंतित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी एनसीपी और कांग्रेस से सरकार बनाने को लेकर चर्चा चल रही है।
शिवसेना ने कहा- भाजपा के इशारे पर खेल
इससे पहले राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन की सिफारिश पर शिवसेना और एनसीपी ने सवाल उठाया था। शिवसेना राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची है। शिवसेना का कहना है कि राज्यपाल ये सब भाजपा के इशारे पर किया। शिवसेना का कहना है कि राज्यपाल ने पार्टी को सिर्फ 24 घंटे का समय दिया, जबकि भाजपा को 48 घंटे का समय दिया था। इसके लिए शिवसेना ने कांग्रेस वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल से संपर्क किया।
भाजपा या शिवसेना को नहीं देंगे समर्थन
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन औवैसी से जब पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी शिवसेना को समर्थन देगी तो उन्होंने कहा, हमारा रुख साफ है। शिवसेना और भाजपा में कोई फर्क नहीं है। हम भाजपा या शिवसेना को समर्थन नहीं देंगे। कांग्रेस भी अपना असली चेहरा दिखा रही है।
सरकार बनाने का विकल्प बाकी
महाराष्ट्र में सरकार बनाने का विकल्प अभी खत्म नहीं हुआ है। इसके लिए राजनीतिक दलों को राज्यपाल को विश्वास दिलाना होगा कि उनके पास बहुमत का आंकड़ा है। इसके बाद भी राज्यपाल के ऊपर यह निर्भर करेगा कि वह सरकार गठन के लिए राज्य से राष्ट्रपति शासन को हटाकर सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं या नहीं। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद अब अगर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी एक मत होते हैं और तीनों पार्टियां मिलकर सरकार बनाना चाहती हैं तो ऐसे में उन्हें राज्यपाल कोश्यारी को स्थाई सरकार देने का विश्वास दिलाना होगा। इसके बाद ही राज्यपाल राष्ट्रपति शासन को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।