काठमांडू, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जारी भारत के नए राजनीतिक नक्शे पर नेपाल ने आपत्ति जताई है। नेपाल ने दावा किया है कि उत्तराखंड के कालापानी और लिपुलेख उसके धारचूला जिले के हिस्से हैं। नेपाल ने कहा है कि संबंधित क्षेत्र को लेकर भारत से बात जारी है और ये मुद्दा अभी तक अनसुलझा है। वहीं भारत ने कहा है कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए विदेश सचिवों को जिम्मेदारी सौंपी है। ऐसे में बातचीत के जरिये नेपाल से मतभेद को सुलझा लिया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि नए मानचित्र में भारत ने अपने ही हिस्से को दिखाया है। चूंकि पूर्ण राज्य जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांट कर दो नए केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए हैं। इसी के मद्देनजर नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया गया। नए मानचित्र में भारत ने किसी नए भूभाग को अपने हिस्से में शामिल नहीं किया है। प्रवक्ता ने कहा कि जहां तक नेपाल की आपत्तियों का सवाल है तो दोनों देश सीमा विवाद के मसले को सचिव स्तर की बातचीत में सुलझाने पर सहमत हैं। ऐसे में नेपाल की आपत्तियों को इसी बातचीत में सुलझा लिया जाएगा।
नेपाली मंत्री बोले, जनगणना है प्रमाण
नेपाल सरकार के प्रवक्ता संचार और सूचना मंत्री गोकुल प्रसाद बास्कोटा ने कालापानी को नेपाल का अभिन्न अंग बताया। संचार मंत्री ने कहा कि 58 वर्ष पहले नेपाल द्वारा कालापानी में जनगणना कराना ही इसका ऐतिहासिक प्रमाण है। उन्होंने संचार मंत्रालय द्वारा आयोजित किए गए नियमित पत्रकार सम्मेलन में कहा कि ‘नेपाल और भारत के बीच जुड़े भू-भाग में से केवल दो प्रतिशत जगह पर ही सीमा विवाद है और इसका समाधान करना अभी बाकी है। हम राजनीतिक और कूटनीतिक पहल से प्रमाण के साथ इस विवाद का समाधान करेंगे। बास्कोटा ने नेपाल सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा भारत को सार्वजनिक राजनीतिक नक्शे पर अपनी धारणा स्पष्ट रूप से रख देने की बात भी कही।