भोपाल,वर्ष 2020 में खत्म होते-होते 12 हजार से ज्यादा कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे। जिससे मंत्रालय सहित विभाग प्रमुख कार्यालयों में कामकाज प्रभावित होने की आशंका जताई जाने लगी है। अप्रैल 2020 से प्रदेश में सेवानिवृत्ति का सिलसिला फिर शुरू हो जाएगा। प्रदेश में अधिकारियों-कर्मचारियों की बेचैनी एक बार फिर बढ़ने लगी है। सेवानिवृत्त होने वालों में शीर्षस्थ कर्मचारियों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है। इनकी जिम्मेदारी अधीनस्थ कर्मचारियों को नहीं सौंपी जा सकती है। उधर, राज्य सरकार ने अगले साल बनने वाली इस स्थिति से निपटने की तैयारी अब तक शुरू नहीं की है। न तो प्रदेश में पदोन्नति शुरू हो पाई है और न ही नई भर्तियां हो सकी हैं। ऐसे में कामकाज प्रभावित होना स्वभाविक है। प्रदेश में 4.62 लाख कर्मचारी और इसी साल नियमित किए गए 2.36 लाख अध्यापक शामिल हैं।
प्रदेश में नई भर्तियां हो नहीं रही हैं और पदोन्नति पर रोक लगी है। ऐसे में अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति से खड़ी होने वाली परेशानियों को देखते हुए शिवराज सरकार ने मार्च 2018 में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 62 साल कर दी थी।इस कारण पिछले डेढ़ साल से राहत थी। इस अवधि में प्रदेश में एक भी कर्मचारी सेवानिवृत्त नहीं हुआ, लेकिन 31 मार्च 2020 को यह अवधि पूरी हो रही है। यानी अप्रैल-20 से सेवानिवृत्ति का सिलसिला शुरू हो जाएगा और तेजी से कर्मचारियों की संख्या कम होगी। जिससे सरकारी खासकर मंत्रालय और विभाग प्रमुख कार्यालय में इसका असर देखने को मिलेगा। कर्मचारी संगठनों के मुताबिक सेवानिवृत्त होने वाले मंत्रालयीन अधिकारियों-कर्मचारियों की सूची में उप सचिव, अनुभाग अधिकारी, सहायक ग्रेड-1 के नाम शामिल हैं। विभागीय कार्य का लंबा अनुभव रखने वाले इन अधिकारियों-कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने विभागीय कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाएगी। वर्ष 2020 में अप्रैल के बाद सेवानिवृत्ति का सिलसिला शुरू होगा। इस दौरान करीब 12 हजार कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने की बात सामने आ रही है, लेकिन वर्ष 2021 से सेवानिवृत्ति का आंकड़ा बढ़ जाएगा। हर साल औसत 15 हजार कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे। इस अनुपात में सरकार न तो नए कर्मचारी भर्ती कर पा रही है और न ही कनिष्ठ कर्मचारियों को कार्य के लिए दक्ष किया जा सकता है। ऐसे में कामकाज प्रभावित होना तय माना जा रहा है।पांच माह बाद सेवानिवृत्त होने वाले ज्यादातर अधिकारी और कर्मचारी पदोन्नति का लाभ लिए बगैर ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे। क्योंकि राज्य सरकार अब तक कर्मचारियों को पदोन्नत करने का रास्ता नहीं तलाश पाई है। सरकार ने पदोन्नति के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने की कोशिशें जरूर की हैं। कर्मचारियों का सशर्त पदोन्न्ति देने की अपील सुप्रीम कोर्ट भेजी गई है, लेकिन अभी अपील मंजूर नहीं हुई है।