नई दिल्ली, सरकार ने अब रियल एस्टेट क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए सौगात देने के संकेत दिए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस क्षेत्र की मुश्किलों का हल निकालने की दिशा में काम कर रहे हैं। वित्त मंत्री ने माना कि पूर्व में घोषित राहत पैकेज से रियल एस्टेट क्षेत्र अभी तक वंचित रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र का असर आठ प्रमुख क्षेत्रों (कोर सेक्टर) सहित कई क्षेत्रों पर पड़ता है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के एक कार्यक्रम के दौरान सीतारमण ने कहा, ‘सरकार की इस क्षेत्र पर पूरी नजर है और हर संभव मदद के लिए आरबीआई के साथ काम किया जा रहा है। मौजूदा नियमों में ऐसे बदलाव किए जा सकते हैं, जिनसे रियल्टी सेक्टर से जुड़े लोगों को मदद मिले। गौरतलब है कि जुलाई में बजट पेश किए जाने के बाद से शेयर बाजार में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है और बाजार की धारणा भी नकारात्मक बनी हुई है। इसके चलते सरकार को कर से जुड़े फैसलों को वापस लेना पड़ा था और कॉरपोरेट कर घटाकर 22 फीसदी किए जाने जैसा बड़ा एलान किया गया, जिससे सरकारी खजाने पर लगभग 1.30 लाख करोड़ रुपए का असर पड़ेगा।
क्षेत्र की धारणा सुधारने में नहीं मिली मदद
वित्त मंत्री ने माना कि अभी तक किए गए उपायों से रियल एस्टेट सेक्टर की धारणा को सुधारने में मदद नहीं मिली। उन्होंने कहा कि सरकार अगस्त से ही बाजार में जान फूंकने और उपभोग मांग को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठा चुकी है। सीतारमण ने कहा कि अभी काफी काम किया जाना बाकी है और ‘एक विशेष क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया गया है, लेकिन इसका शेयर बाजार पर खासा सकारात्मक असर पड़ सकता है और यह रियल एस्टेट क्षेत्र है।Ó उन्होंने कहा कि कई फंड इस क्षेत्र में निवेश के लिए तैयार हैं, लेकिन वे नीतिगत समर्थन चाहते हैं।
नोटबंदी, रेरा और जीएसटी पड़े भारी
गौरतलब है कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी, मई, 2017 में रेरा की पेशकश और फिर जुलाई, 2017 में जीएसटी के लागू होने से रियल्टी क्षेत्र को सबसे तगड़ा झटका लगा। माना जाता है कि कालेधन को रियल एस्टेट क्षेत्र में व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस क्षेत्र के लिए यह तिहरा झटका खासा भारी पड़ा था। तब से अब तक यह क्षेत्र उबरने के लिए जूझ रहा है। एनबीएफसी क्षेत्र में तरलता के संकट की भी इसमें खासी भूमिका रही है।
नए सुधारों का एलान जल्द
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार मजबूत जनादेश का इस्तेमाल करते हुए एक बार फिर नए सुधारों का एलान करेगी। ये सुधार ऐसे होंगे, जो राज्यसभा में कम समर्थन के चलते सरकार पिछले कार्यकाल में नाकाम रही थी। गौरतलब है कि कई विश्लेषक भूमि और श्रम सहित कई सुधार जल्द से जल्द लागू करने की मांग कर रहे हैं। दर्जनों कंपनियों के चीन छोडऩे और वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों में विनिर्माण शुरू करने के संबंध में उन्होंने कहा, ‘सरकार ने संभावित कंपनियों की सूची बनाई है और उनसे बातचीत भी की है।
एनएसई प्रमुख ने की कर कटौती की वकालत
मुंबई। एनएसई प्रमुख विक्रम लिमये ने शेयर बाजार से जुड़े करों में कटौती की वकालत की है। उन्होंने कहा कि पूंजी बाजार में होने वाले लेनदेनों पर लगने वाले प्रतिभूति लेनदेन कर, पूंजीगत लाभ कर, स्टैम्प ड्यूटी से प्रतिस्पर्धी बाजारों की तुलना में भारत को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि कई प्रकार के करों से घरेलू बाजार की प्रतिस्पर्धी क्षमता कम हो रही है। उन्होंने सरकार से निवेश प्रवाह में बढ़ोतरी के लिए करों में कमी की मांग की।