अगले सत्र से मध्यप्रदेश के स्कूलों में ‘चाइना-कोरिया मॉडल’ से शिक्षा व्यवस्था को किया जा सकता है दुरुस्त

भोपाल,प्रदेश के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए अब ‘चाइना-कोरिया मॉडल’ को अपनाया जाएगा। यह व्यवस्था अगले शिक्षण सत्र से लागू करने की पूरी तैयारी है। स्कूल शिक्षा विभाग ने दोनों देश के मॉडल सरकारी स्कूलों में लागू कर प्रदेश की शिक्षा को उच्च पटल पर रखने का कार्य शुरू किया गया है। संयुक्त संचालक शिक्षा का दावा है कि संभवत: मप्र देश का पहला राज्य होगा जहां चाइना-दक्षिण कोरिया मॉडल का प्रोजेक्ट सरकारी स्कूलों में लागू किया जा रहा है। साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्ट्स एवं मैथमेटिक्स सभी विषय अब एक साथ पढ़ाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। कक्षा एक से लेकर दसवीं तक विद्यार्थियों को एक से विषय पढ़ाए जाने पर जोर दिया जा रहा है। दोनों देश के मॉडल समझने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग भोपाल में 30 और 31 अक्टूबर को स्टीम कॉन्क्लेव कॉन्फ्रेंस का आयोजन करा रहा है। इस आयोजन में देश-विदेश के सैंकड़ों शिक्षाविद् और विशेषज्ञ शामिल होंगे। इस आयोजन में उन अधिकारी-प्राचार्यों को भी शामिल किया गया है जो दक्षिण कोरिया के दौर पर गए हुए थे। दो दिवसीय कार्यक्रम में निकाले गए निष्कर्ष के बाद तय होगा कि दोनों देश का मॉडल प्रदेश में किस तरह से लागू किया जाए।
कान्क्लेव स्टीम मतलब साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्ट और मैथमेटिक्स की शिक्षण पद्वति के संबंध में विचार मंथन किया जाएगा। इसमें विशेषज्ञों के माध्यम से प्रस्तुति और परिचर्चा की जाएगी। चाइना-कोरिया व अन्य देशों में साइंस, तकनीकी, इंजीनियरिंग, कला और गणित विषय एक साथ बच्चों को पढ़ाया जाता है। बताया जा रहा है इन देशों में इस तरह की व्यवस्था लागू होने से बच्चों को अलग-अलग विषय लेकर पढ़ाई करने की जरूरत नहीं होती है। दोनों देशों का मॉडल लागू होता है तो सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों को विज्ञान, तकनीकी और कला की जानकारी एक साथ मिल पाएगी। अभी तक विद्यार्थियों को अलग-अलग क्षेत्र में जाने के लिए अलग-अलग विषय लेकर पढ़ाई करनी होती है। इस बारे में राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल की संचालक आईरीन सिंथिया जेपी का कहना है कि भोपाल में दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस आयोजित होगी। इसमें साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग के साथ कला और गणित विषय एक साथ पढ़ाने पर चर्चा की जाएगी। यह कार्य एक प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू होगा जिसमें कक्षा एक से लेकर दसवीं तक के विद्यार्थियों को इसमें शामिल किया जाएगा। संभवत: मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य होगा जहां इस तरह का प्रोजेक्ट लागू होने जा रहा है।

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